बिजनेस भास्कर >नई दिल्ली
<>सरकार बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) व्यवस्था को खत्म करने और चीनी पर कुछ नियंत्रण हटाने के अलावा ओपन जनरल लाइसेंस (ओजीएल) के तहत पांच लाख टन और चीनी निर्यात की अनुमति देने पर विचार कर सकती है। बासमती चावल के निर्यात पर इस समय 900 डॉलर प्रति टन एमईपी लागू है। चीनी के मामले में सरकार नियंत्रण हटाने की दिशा में मासिक चीनी कोटा सिस्टम को त्रैमासिक आधार पर करने के बारे में विचार कर सकती है। इन सभी मसलों पर प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाले अधिकार प्राप्त मंत्री समूह (ईजीओएम) की अगली बैठक में विचार होने की संभावना है। यह बैठक आगामी सात फरवरी को हो सकती है।
खाद्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बासमती निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एमईपी को हटाया जा सकता है। इस पर फैसला ७ फरवरी को प्रस्तावित ईजीओएम की बैठक में हो सकता है। बासमती के एमईपी को हटाने का प्रस्ताव वाणिज्य मंत्रालय का है जिसे खाद्य मंत्रालय ने भी हरी झंडी दे दी है। अधिकारी के अनुसार बैठक में ओजीएल के तहत पांच लाख टन और चीनी के निर्यात को भी अनुमति दी जा सकती है। साथ ही चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त करने की दिशा में कोटा रिलीज सिस्टम में बदलाव करने पर विचार हो सकता है। इस समय हर महीने खुले बाजार में बिक्री के लिए कोटा तय होता है। नए सिस्टम में मिलों के लिए तीन महीने का कोटा जारी करने पर चर्चा हो सकती है। बासमती चावल के निर्यात पर 900 डॉलर का एमईपी लागू होने की वजह से निर्यात में तेजी नहीं आ रही है। एमईपी के कारण भारतीय निर्यातकों को पाकिस्तान से कड़ी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है। जबकि चालू खरीफ में बासमती चावल की पैदावार में बढ़ोतरी हुई है। चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से अक्टूबर के दौरान 16.22 लाख टन बासमती चावल का ही निर्यात हुआ है।
सरकार ने 22 नवंबर को चालू पेराई सीजन 2011-12 (अक्टूबर से सितंबर) के लिए ओजीएल के तहत दस लाख टन चीनी के निर्यात को मंजूरी दी थी। जिसमें से 17 जनवरी तक 5.39 लाख टन के रिलीज आर्डर जारी किए हैं। चालू पेराई सीजन में 15 जनवरी तक चीनी के उत्पादन में 19 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल उत्पादन 104.5 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 87.68 लाख टन का उत्पादन हुआ था।(Business Bhaskar.....R S Rana)
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