रिटर्न और एसेट बेस में ग्रोथ के लिहाज से ज्यादातर फंड हाउस की रिपोर्ट कार्ड बेहद खराब रही। लेकिन एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) और गोल्ड फंड ऑफ फंड्स (एफओएफ) समेत गोल्ड फंडों ने उनकी लाज बचाने का काम किया। वैल्यू रिसर्च के डाटा के मुताबिक पिछले एक साल में ज्यादातर गोल्ड फंडों में 27-31 फीसदी का उछाल आया। दूसरी ओर इसी अवधि में लार्ज-कैप इक्विटी फंड, शॉर्ट-टर्म बॉन्ड फंड और इनकम फंडों ने क्रमश: 23 फीसदी, 9.04 फीसदी और 8.2 फीसदी का निगेटिव रिटर्न दिया।
एम्फी के अनुसार जनवरी और नवंबर के बीच गोल्ड ईटीएफ का एसेट बेस 167 फीसदी उछलकर 9,658 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। दो साल के लिहाज से देखने पर यह आंकड़ा और मजबूत दिखता है। दो साल में गोल्ड म्यूचुअल फंड एसेट में करीब 570 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) के लिहाज से गोल्डमैन सैक्स (पहले बेंचमार्क एसेट मैनेजमेंट), रिलायंस म्यूचुअल फंड और कोटक म्यूचुअल फंड सबसे ज्यादा फायदे में रहीं।
सोने के दाम बढ़ने की वजह से गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड फंड ऑफ फंड्स (गोल्ड ईटीएफ में पैसा लगाने वाले फंड) ने ज्यादा रिटर्न दिया। फंड मैनेजरों का कहना है कि गोल्ड प्राइस बढ़ने से गोल्ड फंडों की शोहरत बढ़ी है। सोना जनवरी में 20,585 रुपए प्रति दस ग्राम से बढ़कर नवंबर में 29,140 रुपए पर पहुंच गया। हालांकि, थोड़ा गिरकर यह दिसंबर अंत में 26,570 रुपए पर रहा।
देश की सबसे बड़ी गोल्ड लोन कंपनी चलाने वाले मण्णापुरम ग्रुप के चेयरमैन वी पी नंदकुमार ने कहा, 'साल के अंत में गोल्ड का भाव इसलिए गिरा, क्योंकि डेवलप मार्केट में हॉलिडे सीजन था। साथ ही गोल्ड में निवेश करने वाले विदेशी इनवेस्टमेंट फंडों के साल के अंत में होने वाले सेटलमेंट की वजह से ऐसा हुआ।'
ज्यादातर एक्सपर्ट का कहना है कि अगले एक साल के दौरान सोने की कीमतों में तेजी बनी रहेगी। यूरोप में इकनॉमिक हालात ठीक नहीं हैं और उभरते हुए बाजारों में इनफ्लेशन का दबाव डरा रहा है, ऐसे में गोल्ड के प्रति लगाव जारी रहेगा। एनालिस्ट कह रहे हैं कि डॉलर की मजबूती के बाद भी सोना चमकता रहेगा।(ET Hindi)
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