बिजनेस भास्कर नई दिल्ली
कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) की देनदारियां बढ़कर 1,735 करोड़ रुपये हो गई हैं। हालांकि इस दौरान निगम की लेनदारियां भी करीब 1,780 करोड़ रुपये की हैं। पिछले साल निगम ने करीब 9 करोड़ रुपये की लेनदारियां निपटाई हैं। निगम को उम्मीद है कि सरकार चालू वित्त वर्ष के आखिर मार्च 2012 तक निगम की देनदारियों का निपटारा कर देगी।
नेफेड के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव गुप्ता ने बताया कि चालू वित्त वर्ष के आखिर मार्च 2012 तक सरकार निगम की देनदारियां निपटा देगी जिससे की वित्त वर्ष 2012-13 में निगम सुचारू रुप से कार्य कर सकेगा। उन्होंने बताया कि नेफेड की 1,780 करोड़ रुपये की लेनदारियां भी है तथा लेनदारियां के लिए निगम ने प्रयास तेज कर दिए हैं। चालू वित्त वर्ष में अभी तक 9 करोड़ रुपये की रिकवरी हुई है तथा आगामी वित्त वर्ष में इसमें और बढ़ोतरी होने की संभावना है। गुप्ता ने कहा कि हमने ब्याज की रकम का भुगतान करने के लिए बैंकों से मार्च 2012 तक का समय लिया हुआ है जिससे निगम को विभिन्न कृषि जिंसों की खरीद-फरोख्त में सुविधा हो रही है।
कृषि मंत्रालय ने नेफेड को 1,200 करोड़ रुपये का राहत पैकेज देने का मसौदा तैयार किया था तथा इसके आधार पर सरकार ने नेफेड में 51 फीसदी हिस्सेदारी की शर्त रखी थी। नेफेड तिलहन, दलहन, कोपरा और कपास की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद के लिए सरकार की नोडल एजेंसी है। नेफेड ने वर्ष 2003 में देशभर की 62 कंपनियों से व्यापार के लिए 3,962 करोड़ रुपये का समझौता किया था जिसके आधार पर वाणिज्यिक बैंकों से लोन लिया था। इसमें ज्यादातर कंपनियां न तो आयात करती थी न ही निर्यात करती थी। इससे कंपनियां नेफेड को पैसे का भुगतान नहीं कर पाई जिससे नेफेड की बैंकों की देनदारियां बढ़कर 1,735 करोड़ रुपये हो गई है। वर्ष 2010-11 में नेफेड को 48 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ लेकिन इस दौरान बैंकों के ब्याज के रुप में ही नेफेड को 170 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ा।(Business Bhaskar.....R S Rana)
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