उत्तरी राज्यों और देश के अन्य हिस्सों में जारी ठंडे मौसम का गेहूं की फसल पर बढिय़ा असर होगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि मौजूदा रबी सत्र 2011-12 के दौरान गेहूं का उत्पादन 8.7 करोड़ टन तक पहुंच सकता है, जबकि लक्ष्य 8.4 करोड़ टन उत्पादन का है। पिछले साल अनुकूल मौसम और प्रौद्योगिकी के ज्यादा इस्तेमाल की वजह से 8.593 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हुआ था।
फिर भी, इस मर्तबा गेहूं का रकबा पिछले साल के मुकाबले थोड़ा कम या ज्यादा रह सकता है क्योंकि देश के कुछ हिस्सों में बुआई अब भी जारी है, जिसके 20 जनवरी तक पूरा होने की संभावना है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक इस वर्ष 6 जनवरी तक गेहूं बुआई की स्थिति पिछले साल की तुलना में बेहतर थी, फिर भी अंतिम आंकड़े फिलहाल तैयार होने हैं। मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, 'पूरी बुआई अब तक नहीं हुई है, इसलिए हमने गेहूं उत्पादन संबंधी पहले के अनुमान में संशोधन नहीं किया है।'
वैज्ञानिकों का मानना है कि तापमान में अचानक गिरावट आना रबी फसलों के लिए बढिय़ा है, खास तौर पर गेहूं की फसल के लिए यह मौसम ज्यादा अनुकूल है। लेकिन देश के उत्तरी हिस्से में बारिश के बाद चलने वाली शीतलहर से धुंध बढ़ गई है जिसका गेहूं की फसल पर विपरीत असर हो सकता है क्योंकि इससे प्रकाश संश्लेषण की अवधि घट जाती है, लिहाजा रबी फसलों की उत्पादकता प्रभावित होने की आशंका है। शीतलहरी को आम तौर पर गेहूं की फसल के लिए अच्छा माना जाता है। उत्तरी राज्यों में गेहूं की फसल फिलहाल शुरुआती चरण में है।
गेहूं अनुसंधान संस्थान की परियोजना निदेशक इंदु शर्मा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ' इस वर्ष मौसम में कोई असामान्य बदलाव नहीं आया है, इसलिए इस साल गेहूं उत्पादन 8.7 करोड़ टन के स्तर पर पहुंच सकता है। पिछले साल 8.2 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया गया था, लेकिन अनुकूल मौसम की वजह से इस फसल का उत्पादन 8.593 करोड़ टन तक पहुंच गया था। इस वर्ष भी गेहूं का रकबा 2.9 करोड़ हेक्टेयर रहने की संभावना है, जो पिछले साल के रकबे के लगभग समान ही है।'
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के पौध क्लिनिक प्रभारी एवं वैज्ञानिक एस के थिंड को उम्मीद है कि उत्तरी राज्यों में इस वर्ष गेहूं की 5-10 फीसदी उत्पादकता बढ़ेगी। पूर्व कृषि अधिकारी यशपाल वर्मा ने कहा कि गेहूं का उत्पादन मुख्य रूप से गेहूं के पौधों में अंकुरणं की स्थिति पर निर्भर करता है।
उच्च तापमान की वजह से 20 दिसंबर तक थोड़ी पहले उगाई जाने वाली फसल के पौधों में कम अंकुरण थे। फिर भी अब, मौसम बदलने और तापमान में बहुत गिरावट के कारण फसल को फायदा हो सकता है।
पंजाब में फसल विविधीकरण की वजह से गेहूं का रकबा तकरीबन 35 लाख हेक्टेयर रह सकता है, जो कमोबेश पिछले साल के समान ही है। राज्य का कृषि विभाग उम्मीद कर रहा है कि इस वर्ष 1.554 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन होगा। हरियाणा में 24 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन में गेहूं की बुआई हुई है। यहां इस साल 1.17 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान है। (BS Hindi)
13 जनवरी 2012
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