वायदा बाजार आयोग ने क्लाइंट कोड मोडिफिकेशन में देरी पर वसूला जाने वाला न्यूनतम जुर्माना 25,000 रुपये से घटाकर 5,000 रुपये कर दिया है। वहीं दूसरी ओर नए दिशानिर्देश के चलते पिछले दो महीने के दौरान जिंस एक्सचेंजों में क्लाइंट कोड मोडिफिकेशन के मामलों में 100 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
इस प्रगति से जुड़े सूत्र ने कहा कि जिंस बाजार के प्रतिभागियों द्वारा पेश की गई दलील के बाद एफएमसी ने जुर्माने में कमी का फैसला किया। बाजार के प्रतिभागियों के मुताबिक, 2000-3000 रुपये के अनुबंध पर क्लाइंट कोड मोडिफिकेशन में देरी पर सदस्य कम से कम 25,000 रुपये का जुर्माना चुकाते थे। ऐसे में संशोधित दिशानिर्देश में जुर्माने की रकम 5,000 रुपये या कारोबार का एक या दो फीसदी या फिर 25,000 रुपये रखी गई है।
इससे पहले कारोबार के आकार पर ध्यान न देते हुए सदस्यों को कम से कम 25,000 रुपये या फिर संशोधित कारोबार की कीमत का 1 फीसदी या 2 फीसदी न्यूनतम जुर्माना देना होता था, अगर किसी खास दिन ब्रोकर के कुल कारोबार की कीमत के 5 फीसदी से ज्यादा पर इस तरह का काम होता था।
सूत्रों ने हालांकि कहा कि दिशानिर्देश जारी किए के बाद सदस्यों की तरफ से क्लाइंट कोड मोडिफिकेशन के मामले विभिन्न एक्सचेंजों में काफी हद तक कम हो गए हैं। उन्होंने कहा कि कुछ मामले सही हो सकते हैं, लेकिन ऐसे मामले जुर्माना लगाए जाने के बाद कम हुए हैं। उन्होंने बताया कि सितंबर में क्लाइंट कोड मोडिफिकेशन के जरिए 1307 करोड़ रुपये के कारोबार हुए थे। हालांकि आगामी महीनों में इसमें 100 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
बाजार के सूत्रों ने कहा कि इसका दुरुपयोग ज्यादातर कर के मकसद से होता था, जैसे जिंस कारोबार में सटोरिया नुकसान एक क्लाइंट से दूसरे में हस्तांतरित करना, जिसकी भरपाई सटोरिया लाभ से की जा सके और इस लाभ पर कर बचाया जा सके। (BS Hindi)
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