कपास सलाहकार बोर्ड ने कहा है कि कपड़ा मिलों में कपास की खपत पहले के अनुमान के मुकाबले बढऩे की संभावना है। उसने मिलों में कपास की खपत के अनुमान में बढ़ोतरी भी की है। बोर्ड ने कहा कि मिलों में कपास की मांग में बढ़ोतरी की खबरें मिलने के बाद इसकी खपत के अनुमान में संशोधन किया जा रहा है। विश्लेषकों की नजर में यह भारतीय कपड़ा उद्योग के पटरी पर लौटने का संकेत है।
कपास सलाहकार बोर्ड ने मंगलवार को हुई बैठक के बाद कहा, मौजूदा कपास वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में कपड़ा मिलों में कपास की खपत का अनुमान बढ़ाकर 216 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलोग्राम) कर दिया गया है जबकि पहले 210 लाख गांठ की खपत का अनुमान था।
छोटी इकाइयों की खपत का अनुमान भी संशोधित कर 24 लाख गांठ कर दिया गया है जबकि इन इकाइयों में पहले 20 लाख गांठ की खपत का अनुमान था। इस तरह से छोटी व बड़ी मिलें पहले के अनुमान के मुकाबले 10 लाख गांठ ज्यादा खपत कर सकती हैं। ऐसा तब हो रहा है जब कुल उत्पादन के अनुमान में 11 लाख गांठ की कटौती की गई है। ये दोनों संकेत बताते हैं कि कपास की कीमतें मजबूत बनी रहेंगी और यहां तक कि निर्यात के अनुमान में भी संशोधन करते हुए इसमें बढ़ोतरी की गई है।
सूती धागे की निर्यात मांग के साथ-साथ घरेलू बाजार में मजबूत मांग के चलते देश में कच्चे कपास की खपत में ठीक-ठाक सुधार दर्ज किया गया है। चीन, श्रीलंका, बांग्लादेश, वियतनाम और मिस्र जैसे देशों से सूती धागे की मांग ने जोर पकड़ा है।
कनफेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (सिटी) के महासचिव डी के नायर ने कहा, मार्च के बाद सूती धागे की मांग में मजबूती की संभावना है। साथ ही देसी-विदेशी परिधान उद्योग की मांग ने भी जोर पकड़ा है। नायर ने कहा कि अमेरिका से मांग में ठीक-ठाक तेजी आई है, जो भारत के सबसे बड़े निर्यात देशों में से एक है। पर यूरो जोन में कर्ज संकट के चलते मांग घटी है।
इस साल कपास का निर्यात भी पहले के 80 लाख गांठ के मुकाबले बढ़कर 84 लाख गांठ हो जाने का अनुमान है। आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में कपास की फसल को हुए नुकसान के चलते कपास सलाहकार बोर्ड ने उत्पादन अनुमान संशोधित कर 345 लाख गांठ कर दिया है जबकि पहले 356 लाख गांठ उत्पादन का अनुमान था। पिछले कपास वर्ष (2010-11) में देश में 325 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था और यह अब तक का सर्वोच्च उत्पादन है। कपास सलाहकार बोर्ड द्वारा उत्पादन अनुमान में संशोधन के बावजूद कुल उत्पादन अब तक का सर्वोच्च होगा। पिछले साल कीमतों में काफी गिरावट आई थी। (BS Hindi)
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