कंपनियां सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में आवंटन के लिए दलहन आयात में बेरुखी बरत रही हैं। चालू वित्त वर्ष 2011-12 के पहले आठ महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान पीडीएस में आवंटन के लिए सार्वजनिक कंपनियों ने केवल 76,000 टन दलहन का ही आयात है जबकि वित्त वर्ष 2010-11 के दौरान 2.6 लाख टन दालों का आयात किया गया था।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि घरेलू बाजार में दालों की कीमतों में कमी आने के कारण चालू वित्त वर्ष में राज्यों की मांग में कमी आई है। इसलिए सार्वजनिक कंपनियां आयात सीमित मात्रा में कर रही है। पीडीएस में आवंटन के लिए सरकार ने चार सार्वजनिक कपंनियों एसटीसी, एमएमटीसी, पीईसी और नेफेड को अधिकृत किया हुआ है।
पीडीएस के तहत आवंटन के लिए सार्वजनिक कंपनियों को सरकार आयातित दालों पर 10 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी देती है। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2010-11 में पीडीएस में आवंटन के लिए 12 राज्यों ने दालों का उठान किया था। इस दौरान सार्वजनिक कंपनियों ने 2.6 लाख टन दलहन का आयात किया था।
चालू वित्त वर्ष 2011-12 में केवल छह राज्य ही पीडीएस में आवंटन के लिए दालों का उठान कर रहे हैं। अप्रैल से नवंबर के दौरान केवल 76 हजार टन दलहन का ही आयात हुआ है। वित्त वर्ष 2009-10 में पीडीएस में आवंटन के लिए सार्वजनिक कपंनियों ने 2.5 लाख टन दालों का आयात किया था तथा इस दौरान 10 राज्यों ने दालों का उठान किया था।
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अक्टूबर तक देश में दलहन का कुल आयात 16.59 लाख टन हो चुका है जो पिछले साल की समान अवधि के 16.29 लाख टन से थोड़ा ज्यादा है। दलहन आयात में सबसे बड़ी भागीदारी प्राइवेट आयातकों की है। कृषि मंत्रालय के चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार वर्ष 2010-11 में देश में दालों का रिकॉर्ड 180.9 लाख टन का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल 146.6 लाख टन का उत्पादन हुआ था।
देश में दलहन की सालाना खपत 185 से 195 लाख टन की मानी जाती है। जबकि चालू रबी में दलहन की बुवाई में पिछले साल की तुलना में 1.72 लाख हैक्टेयर की कमी आई है जिसका असर दलहन उत्पादन पर पडऩे की आशंका है। (Business Bhaskar.....R S Rana)
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