लागत से भी कम दाम पाकर परेशान चीनी मिलों को अब निर्यात पर सरकारी रुख से ही सहारा मिल सकता है। चीनी उद्योग ने सरकार से 10 लाख टन अतिरिक्त चीनी के निर्यात की अनुमति मांगी है। कारोबारियों के मुताबिक अगले महीने इसे हरी झंडी मिली तो चीनी 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल सुधर सकती है। वैश्विक बाजार में चीनी की बढ़ती कीमतों का फायदा भी तब मिल सकता है।
मवाना शुगर लिमिटेड के प्रबंध निदेशक सुनील ककरिया ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि गन्ने पर मिलें अभी ढुलाई समेत 255 रुपये प्रति क्विंटल खर्च कर रही हैं। चीनी की रिकवरी 8.5 फीसदी है और इस हिसाब से उत्पादन लागत 3,000 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि थोक भाव 2,900 से 2,950 रुपये प्रति क्विंटल यानी लागत से कम हैं।
चीनी का कारोबार करने वाली कंपनी एसएनबी एंटरप्राइजेज के मालिक सुधीर भालोटिया ने बताया कि मांग से ज्यादा चीनी उपलब्ध होने के कारण दाम गिरे हैं। पिछले 2 महीने में उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स फैक्टरी दाम में 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है। इसके उलट वैश्विक बाजार में चीनी 40 डॉलर बढ़कर 640 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई है। ऐसे में निर्यात की अनुमति मिलने पर चीनी के दाम 100 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ सकते हैं। चीनी कारोबारी आर पी गर्ग को ऐसे में भाव 150 रुपये प्रति क्विंटल बढऩे की उम्मीद है।
भारतीय चीनी उत्पादक संघ (इस्मा) के मुताबिक चालू चीनी वर्ष में 2.6 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान है। 15 जनवरी तक ही 1.04 करोड़ टन चीनी तैयार हो चुकी है, जो पिछले साल 15 जनवरी तक के आंकड़े से 17 लाख टन अधिक है। (BS Hindi)
25 जनवरी 2012
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