कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू करने के लिए कृषि क्षेत्र का उत्पादन बढ़ाना आवश्यक है। उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र को पर्याप्त धन मुहैया कराए बगैर खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू करना मुश्किल है। उन्होंने कृषि क्षेत्र के लिए कम बजट आवंटन पर चिंता जताई है।
पवार ने एक इंटरव्यू में कहा कि कृषि क्षेत्र के लिए बजट में सिर्फ 20,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जबकि सब्सिडी के लिए 65,000 करोड़ रुपये दिए गए। इस साल सब्सिडी का खर्च बढ़कर एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। जब तक हम कृषि क्षेत्र पर खर्च नहीं बढ़ाएंगे, तब तक हम खाद्य सुरक्षा कानून लागू नहीं कर पाएंगे। खाद्य सुरक्षा विधेयक में देश की 63.5' आबादी को सस्ता अनाज देने का प्रावधान किया गया है।
दूसरी ओर खाद्य मंत्री के. वी. थॉमस ने कहा है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक के प्रस्तावों को लागू करने के लिए ग्रामीण और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालयों को सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना का काम जल्द-से-जल्द पूरा किया जाए। थॉमस ने कहा है कि इस सर्वेक्षण का उपयोग बहुत सारे योजनाओं के तहत मिलने वाले लाभ के लाभार्थियों की पहचान में किया जाएगा।
उन्होंने खाद्य मामलों पर बनी संसद स्थायी समिति का संदर्भ देते हुए कहा कि खाद्य सुरक्षा विधेयक के तहत देश की 63.5 फीसदी आबादी को सस्ता अनाज मुहैया कराना है। उन्होंने ग्रामीण और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रियों को अलग-अलग पत्र में लिखा है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को लागू करने में परिवारों की पहचान करना एक जटिल कड़ी है। स्थायी समिति के सामने यह मसला कभी भी आ सकता है। यही वजह है कि मैं यह सुनिश्चित करने का निवेदन करता हूं कि जनगणना का काम जल्दी-से-जल्दी निबटाया जाए।
खाद्य मंत्री ने सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना 2011 की ताजी स्थिति से अवगत कराने को कहा है।उन्होंने मंत्रालयों को सर्वेक्षण का काम जल्दी से पूरा कराने के बारे सुनिश्चित कराने को कहा ताकि प्रस्तावित कानू को लागू करने में सहूलियत हों।
इस बीच ग्रामीण विकास मंत्रालय ने ग्रामीण इलाकों में परिवारों की पहचान के लिए सर्वेक्षण के बारे में तालमेल बिठाना शुरू कर दिया। शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने भी शहरी इलाकों में परिवारों की पहचान के काम में तेजी लाने का मन बना लिया है। संसद की शीतकालीन सत्र के दौरान योजना राज्य मंत्री अश्विनी कुमार ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि उम्मीद है कि एसईसीसी का काम जनवरी 2012 तक पूरा कर लिया जाएगा।
एसईसीसी का काम बीते साल के जून में शुरू कर दिया गया था।
हालांकि बहुत सारे राज्यों में इस दिशा में कोई खास प्रगति नहीं हो सकी है। कुछ राज्यों में एसईसीसी का काम अभी तक शुरू भी नहीं किया जा सका है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इस काम के जून तक पूरा हो जाने की उम्मीद जताई है। (Business Bhaskar)
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