भास्कर दिल्ली
ने मल्टी ब्रांड रिटेल में 51 फीसदी तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का समर्थन किया है। संगठन के अधिकारियों के मुताबिक इससे उपभोक्ताओं को विश्वस्तरीय उत्पाद मिल सकेंगे और उत्पादों की गुणवत्ता भी अच्छी होगी। कंपनियों में आपसी प्रतिस्पर्धा बढऩे के कारण उपभोक्ताओं को वाजिब कीमत पर उत्पाद उपलब्ध हो सकेंगे। हालांकि देशभर के कारोबारी मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआई की खिलाफत कर रहे हैं।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने गुरुवार को उपभोक्ता संगठनों के साथ बैठक की। बैठक में देशभर के करीब 12 उपभोक्ता संगठन के अधिकारियों ने हिस्सा लिया। बैठक के बाद उपभोक्ता समन्वय परिषद (सीसीसी) के चेयरमैन अमृत लाल साहा ने कहा कि मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई आने से उपभोक्ताओं को बेहतर दाम पर विश्वस्तरीय उत्पाद मिल सकेंगे। मल्टी ब्रांड रिटेल में 51 फीसदी एफडीआई के तहत मौजूदा मसौदे में विदेशी कंपनियों को कुल खरीद में 30 फीसदी खरीद घरेलू मझौले उद्योगों से करनी अनिवार्य होगी। इससे घरेलू मझौली कंपनियों को तो फायदा होगा ही साथ ही देश में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
उपभोक्ता संगठन बिंटी के संयोजक जी सी माथुर ने कहा कि मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई से उपभोक्ताओं के हितों को कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि देश में उपभोक्ताओं के हितों के लिए पर्याप्त कानून हैं। उन्होंने कहा कि मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई से देशभर में आधारभूत ढांचा मजबूत होगा जिसका उपभोक्ताओं के साथ ही उत्पादकों को भी फायदा होगा।
कोर सेंटर के डायरेक्टर एस सी शर्मा ने कहा कि विदेशी निवेश से कंपनियों में आपसी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी जिससे उपभोक्ताओं को वाजिब दाम पर अच्छे उत्पाद मिल सकेंगे। उन्होंने कहा कि विदेशी कंपनियों को न्यूनतम 10 करोड़ डॉलर का निवेश करना होगा तथा कुल निवेश की 50 फीसदी राशि बैक-एंड सुविधा पर खर्च करना अनिवार्य होने के कारण बुनियादी सुविधाएं बढ़ेगी। हालांकि देशभर के व्यापारी सरकार के इस फैसले को बड़ी शक की नजर से देख रहे हैं। व्यापारियों का मानना है कि दुनिया की दैत्याकार रिटेल कंपनियों के सामने छोटे व्यापारियों की दुकान नहीं चल पाएगी और वे खत्म हो जाएंगे।(Business Bhaskar....R S Rana)
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