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09 मार्च 2009

कॉटन निर्यात फायदे का सौदा

जनवरी के मुकाबले फरवरी महीने में देश से कॉटन निर्यात 45 फीसदी बढ़ा है। कपड़ा मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार फरवरी में 1,98,412 गांठ कॉटन का निर्यात हुआ है, जबकि जनवरी में 1,37,447 गांठ का ही निर्यात हुआ था। डॉलर के मुकाबले रुपये के काफी कमजोर होने और सरकारी एजेंसियों नाफेड व कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) द्वारा ऊंचे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से खरीदी गई कॉटन सस्ते दामों पर बेचने से निर्यात फायदेमंद हो गया है। हालांकि, सरकारी एजेंसियों को इससे हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार को वित्तीय मदद देनी पड़ी। सूत्रों के अनुसार चालू फसल सीजन में अगस्त से फरवरी तक देश से 7.50 लाख गांठ का निर्यात हो चुका है। कपड़ा मंत्रालय में इस दौरान 13.84 लाख गांठ के निर्यात के लिए रजिस्ट्रेशन हो चुका है। विश्व स्तर पर आर्थिक सुस्ती का असर कॉटन के निर्यात पर भी पड़ा है। कॉटन एडवायजरी बोर्ड (सीएबी) द्वारा हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार चालू वर्ष में देश से कॉटन का निर्यात घटकर 50 लाख गांठ ही होने की संभावना है। पिछले वर्ष देश से कॉटन का कुल निर्यात 85 लाख गांठ का हुआ था। विश्व बाजार में इस समय कॉटन के दाम 50.40 सेंट प्रति पाउंड चल रहे हैं और एनबॉट में मार्च वायदा के भाव 40.26 सेंट प्रति पाउंड हैं। पिछले वर्ष की समान अवधि में विदेशी बाजारों में कॉटन के भाव 81.68 सेंट प्रति पाउंड थे। मालूम हो कि एक गांठ में 170 किलोग्राम कॉटन होती है। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) के सूत्रों के अनुसार चालू फसल सीजन में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फरवरी के आखिर तक करीब 80 लाख गांठ की खरीद हो चुकी है। इसमें से लगभग 30 लाख गांठ की बिक्री की जा चुकी है। पिछले साल सीसीआई ने एमएसपी पर मात्र दस लाख गांठ की ही खरीद की थी। एमएसपी में बढ़ोतरी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम कम होने से प्राइवेट मिलों के साथ ही स्टॉकिस्टों की खरीद कमजोर रहने के कारण सीसीआई की खरीद में भारी बढ़ोतरी हुई है। उधर नाफेड और अन्य एजेंसियों ने एमएसपी पर करीब 28 से 30 लाख गांठ की खरीद की है। नाफेड ने अभी तक मात्र 30,000 गांठ कॉटन की बिक्री की है। नाफेड और सीसीआई कॉटन बिक्री के लिए अंतरराष्ट्रीय मूल्य के अनुरूप भाव हर रोज तय करती हैं जो घरेलू बाजार से काफी कम हैं। इस तरह निर्यातकों को घरेलू बाजार से ऊंचे भाव पर कॉटन खरीदनी नहीं पड़ रही है। (Business Bhaskar.....R S Rana)

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