मुंबई March 12, 2009
निर्यात के लिए मांग में कमी आने के साथ ही मांग के मुकाबले आपूर्ति बढ़ने से जीरा में छोटी अवधि के लिए मंदी कायम हो गई है।
मौजूदा हफ्ते के दौरान कारोबारियों और जिंस विश्लेषकों के मुताबिक मसाला जिंस बाजार में मंदी का ही आलम छाए रहने की उम्मीद है। लगभग 25,000 बोरी जीरे की की आवक हुई लेकिन उसमें से 6,000 बोरी बिक नहीं सके। इसका असर उन्झा के हाजिर बाजार और वायदा बाजार पर भी पड़ा है।
गुजरात के मुख्य डिलीवरी सेंटर उन्झा में हाजिर बाजार की दरों में 20 किलोग्राम की बोरी में 20 रुपये की कमी आई और नई फसल के लिए 20 किलोग्राम की बोरी का कारोबार 1,950-1,975 रुपये पर होता है। हालांकि होली की वजह से मांग पर थोड़ा असर पड़ा है लेकिन पूरे बाजार में फीकापन ही छाया रहा।
कोटक कमोडिटीज के जिंस विश्लेषक फैयाज हुदानी का कहना है, 'पिछले कुछ कारोबारी सत्रों से ऐसा दिख रहा है कि निर्यात बाजार से खासतौर पर कम मांग आ रही है। फसलों की पूरी तरह से बिक्री नहीं हो सकी है इसी वजह से कीमतों पर दबाव बना और गिरावट दिख रही है। हमें उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों तक जीरा बाजार में कीमतें कम ही दिखेंगी।'
कारोबारी सूत्रों का कहना है कि नई फसलों की आवक से कीमतों में आगे भी कमी हो सकती है। नेशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव एक्सचेंज में भी पिछले चार कारोबारी सत्रों के दौरान 3 फीसदी की गिरावट आई और यह 11,431 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले 11,802 रुपये हो गया। मुल्क में फिलहाल लगभग 3-4 लाख बोरी का स्टॉक है।
जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह भंडार 8-9 लाख बोरी था। मौजूदा सीजन में फसल पिछले साल के 25 लाख बोरी के मुकाबले कम होकर 22-23 लाख बोरी हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के अलावा ईरान, सीरिया और तुर्की भी जीरा उत्पादक देशों में हैं। हालांकि केवल घरेलू उत्पाद के जरिए ही दुनिया की मांग को पूरा किया जा रहा है। (BS Hindi)
12 मार्च 2009
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