मुंबई March 12, 2009
सोयाबीन की पेराई अब बहुत मुनाफा देने वाला कारोबार नहीं रह गया है। इसी वजह से कई छोटी और मझोली तेल बनाने वाली इकाइयों ने अपना कारोबार बंद करने में ही भलाई समझा है जबकि बड़ी इकाइयों ने अपनी क्षमता को घटा दिया है।
इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन (एसओपीए) के एक अनुमान के मुताबिक कुल पेराई क्षमता 40 फीसदी से भी हो गया है। इसकी वजह यह है पेराई करने वालों के पास पर्याप्त मात्रा में किसानों और भंडार रखने वालों के जरिए कच्चे माल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है।
सोयाबीन की कीमत 2350 रुपये प्रति क्विंटल है और पेराई करने वाले लगभग 24,846 रुपये प्रति टन पाते हैं। जबकि प्रत्यक्ष तौर पर सोयाबीन के तेल और खली की खरीद 24,900 रुपये प्रति टन के हिसाब से की जाती है।
एक टन के सोयाबीन के प्रसंस्करण से 800 किलोग्राम सोया खली के अतिरिक्त 180 किलोग्राम तेल निकलता है। सोयाबीन की पेराई की लागत लगभग 800-900 प्रति टन पड़ता है। इंदौर मंडी को छोड़कर सोया एक्सट्रैक्शन लगभग 29,900 प्रति टन के हिसाब से होता है।
पिछले साल तक घरेलू तिलहन प्रसंस्करण क्षेत्र में लगभग 15,000 तेल मिलें, 600 सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन यूनिट, 230 वनस्पति संयंत्र और 500 से भी ज्यादा रिफाइनरी रही है। कच्चे माल के अभाव की वजह से इसमें से लगभग 25 फीसदी संयंत्र बंद हो चुके हैं। इसके अलावा 10-15 फीसदी संयंत्र बंद होने की कगार पर ही हैं।
इस उद्योग का ऐसा अनुमान है कि तेल बनाने वाली इकाइयां पिछले साल के 88 लाख टन की पेराई के मुकाबले 55-58 लाख टन की पेराई कर पाएंगी। इस उद्योग में इस बात का डर है कि सोया तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं जबकि आने वाले हफ्तों में सोयाबीन की कीमतें गिर सकती हैं।
एसओपीए के संयोजक और प्रवक्ता राजेश अग्रवाल का कहना है कि किसानों दुनिया भर में इसकी मांग बढ़ने की उम्मीद में भंडारण कर रहे हैं। इसी वजह से घरेलू बाजार में इसकी कीमत पिछले साल के 2700 रुपये प्रति क्विंटल है। हालांकि उनका मानना है कि वैश्विक स्तर पर ज्यादा आपूर्ति होने और सस्ते आयात से कीमतों में बढ़ोतरी की ज्यादा संभावना नहीं है।
पिछले साल मुल्क में रिकॉर्ड स्तर पर कुल सोयाबीन का उत्पादन 98.9 लाख टन हुआ था। इस साल अनुकूल मानसून न होने और कम उपज की वजह से सोयाबीन के उत्पादन में 90 फीसदी की कमी आने की उम्मीद है। दूसरे तिलहन फसलों के मुकाबले सोयाबीन की कीमतें फिलहाल 2350 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)1390 प्रति क्विंटल है।
अभी तक किसान और भंडारर्णकत्ता अपने भंडार बढ़ाने की जुगत में हैं। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी. वी. मेहता का कहना है कि जब वैश्विक आपूर्ति शुरू हो जाएगी तो सोयाबीन की कीमतों में तेजी की उम्मीद बहुत कम होगी। इस क्षेत्र के भारतीय खिलाड़ी सस्ते कच्चे खाद्य तेल का आयात मुख्य तेलों मसलन पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेलों के साथ मिलाने के लिए कर रहे हैं।
पिछले एक महीने में सोयबीन की कीमतें में काफी अस्थिरता रही है। पहले पखवाड़े में जिंस की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिला लेकिन दूसरे पखवाड़े में रिकवरी हो गई लेकिन एक महीने में 4 फीसदी की गिरावट देखी गई।
वैश्विक स्तर पर एक रैबोबैंक का अनुमान है कि वर्ष 2008-09 में सोयाबीन की फसल 170 लाख हेक्टेयर भूमि पर लगाई गई। जबकि पिछले सीजन में 166 लाख हेक्टेयर भूमि पर सोयाबीन की खेती की गई थी।
खतरे में सोया तेल कारोबार
कुल क्षमता की 40 फीसदी ही हो रही है पेराईकरीब 25 प्रतिशत पेराई संयंत्र बंदअन्य 15 प्रतिशत बंदी के कगार परबीन की कीमतें पिछले साल के 27,00 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच सकती हैं (BS HIndi)
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