नई दिल्ली March 04, 2009
मंदी की आह ने देश के प्लास्टिक कारोबारियों के भी कान खड़े कर दिये है।
कच्चे माल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी और मांग में आ रही कमी से पिछले छह महीनों के दौरान ही प्लास्टिक कारोबार 20 से 25 फीसदी तक सिमट गया है।
पिछले एक साल के दौरान प्लास्टिक के कच्चे माल पॉलिमर की कीमतों में हुई 40 फीसदी की बढ़ोतरी के बाद से आम आदमी के लिए मग, बाल्टी और खिलौने खरीदना मुश्किल हो गया है।
वहीं प्लास्टिक से बनने वाले मोटर और इलेक्ट्रानिक पाट्र्स महंगे होने से औद्योगिक इकाइयों और कारोबारियों के होश उड़ गये है। कीमतों में बढ़ोतरी के चलते नए ऑर्डरों की संख्या में भी पिछले साल की अपेक्षा 20 से 25 फीसदी की गिरावट आई है।
ऑल इंडिया प्लास्टिक मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश जी मोरारका का कहना है कि कीमतों में हो रही बढ़ोतरी से प्लास्टिक कारोबार सीधे तौर पर प्रभावित हुआ है। सामान्य तौर पर प्लास्टिक कारोबार की बढ़ोतरी दर 12 से 15 फीसदी रहती है। लेकिन पिछले एक साल से बढ़ोतरी दर में 3-4 अंको की कमी आई है।
नई मांग न होना भी एक नई चुनौती बन गई है। ऐसे में अगले तीन सालों में प्लास्टिक की प्रति व्यक्ति खपत की दर दोगुना करने का लक्ष्य भी हिचकोले खाता नजर आ रहा है जो कि इस समय प्रतिव्यक्ति 6 किलोग्राम है।
इलेक्ट्रानिक्स उत्पादों के निर्माण से जुड़े नोएडा स्थित आर एस इलेक्ट्रिकल प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरर्स कंपनी के एस एस गुप्ता बताते है कि प्लास्टिक की कीमतों में हुई बढ़त से अंतिम उत्पाद की लागत में भी बढ़ोतरी हुई है। लेकिन उपभोक्ता हमारा उत्पाद पहले वाली कीमतों में खरीदना चाहता है।
ऐसे में अगर हम कीमतें नहीं बढ़ाते है तो हमारे मुनाफे में सीधे तौर पर कमी हो रही है और कीमतें बढ़ाते है तो नए आर्डरों के लाले पड़ रहें है। फरीदाबाद स्मॉल इंडस्ट्री फेडरेशन के अध्यक्ष और मोटर पार्टस निर्माता राजीव चावला का कहना है कि प्लास्टिक के कच्चे उत्पाद में बढ़ोतरी होने से अंतिम उत्पाद बनाने में हमारी लागत बढ़ रही है।
जबकि मारुति और होंडा जैसी कंपनियां हमारे उत्पाद पहले की ही कीमतों में ही खरीद रही है।' रोजगार के मामले में भी प्लास्टिक इंडस्ट्री की हालत पतली होती नजर आ रही है। मोरारका बताते है कि इस समय प्लास्टिक इंडस्ट्री में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर 70 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
ऐसे में हमारा लक्ष्य प्रतिवर्ष 10 फीसदी की बढ़ोतरी करते हुए 2010 के अंत तक 37 लाख अतिरिक्त लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाना है। लेकिन मंदी की वजह से रोजगार बढ़ोतरी दर भी घटकर 5 से 6 फीसदी रह गई है। (BS Hindi)
04 मार्च 2009
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