लखनऊ December 09, 2008
उत्तर प्रदेश के किसानों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस फैसले का स्वागत किया है, जिसमें भारतीय चीनी मिल संगठन (आईएसएमए) की याचिका को खारिज कर दिया गया है।
आईएसएमए की इस याचिका में मौजूदा सीजन के लिए राज्य सरकार द्वारा गन्ने की निर्धारित मूल्य को चुनौती दी गई थी। न्यायाधीश अरुण टंडन और दिलीप गुप्ता की खंडपीठ ने 4 नवंबर को दायर इस याचिका को खारिज कर दिया।भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'हमलोग उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हैं और न्यायपालिका को धन्यवाद देते हैं।' उन्होंने कहा कि इस निर्णय से किसानों का उत्साह बढ़ेगा और वे अगले मौसम में भी गन्ने की खेती पूरी मेहनत से करेंगे। इस साल गन्ने के उत्पादन में 20 फीसदी की कमी आई है, क्योंकि बहुत सारे किसान विवादों के पचड़ों में नहीं पड़ना चाहते हैं। वैसे भी उन्हें गन्ने की कीमत में देर से भुगतान की जाती है और पिछले कई सालों से गन्ने के मूल्य निर्धारण को लेकर कई तरह के विवाद सामने आए हैं। अपने फैसले में उच्च न्यायालय ने कहा कि गन्ने के मूल्य निर्धारण करने के लिए राज्य सबसे अधिक जिम्मेवार है। चीनी मिल संगठन ने 18 अक्टूबर 2008 को प्रति क्विंटल गन्ने में 15 रुपये अधिक समर्थन मूल्य का विरोध किया था। मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए सरकार ने बहिष्कृत गन्ने का समर्थन मूल्य 137.50 रुपये प्रति क्विंटल, सामान्य किस्म के गन्नों के लिए 140 रुपये प्रति क्विंटल और अच्छी किस्म के लिए 145 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया था। (BS Hindi)
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