आर.एस. राणा नई दिल्ली
भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) की देनदारियां निपटाने के लिए कृषि मंत्रालय फिर से राहत पैकेज तैयार कर रहा है। इसको जल्द ही वित्त मंत्रालय के पास भेजा जाएगा। इस समय नेफेड की देनदारियां बढ़कर 1,735 करोड़ रुपये हो गई हैं।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नेफेड की देनदारियां लगातार बढ़ती जा रही हैं तथा निगम को होने वाली आय से बैंकों के ब्याज का भी पूरा भुगतान नहीं हो पा रहा है। वर्ष 2010-11 में नेफेड को 48 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था, लेकिन इस दौरान बैंकों के ब्याज के रूप में ही नेफेड को 170 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ा। यही कारण है कि निगम की देनदारियां निपटाने के लिए मंत्रालय फिर से राहत पैकेज तैयार कर रहा है। इसको जल्द ही मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय के पास भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि जनवरी 2011 में भी नेफेड के लिए एकमुश्त राशि 1,200 करोड़ रुपये का राहत पैकेज तैयार किया गया था। इस पर 11 जनवरी, 2011 और 24 मार्च, 2011 को वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ दो बार बैठक भी हुई थी। उधर, 26 सितंबर 2011 को होने वाली बैठक रद्द हो गई थी तथा राहत पैकेज देने पर कोई फैसला नहीं हो सका था। नेफेड को राहत पैकेज देने का जो मसौदा तैयार किया गया था, उसके आधार पर सरकार ने नेफेड में 51 फीसदी हिस्सेदारी की शर्त रखी थी।
नेफेड के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार निगम की देनदारियां बढ़कर 1,735 करोड़ रुपये हो गई हैं। हालांकि, इस दौरान निगम को 1780 करोड़ रुपये मिलने भी हैं जिसे पाने के लिए निगम ने प्रयास तेज कर दिए हैं। चालू वित्त वर्ष में अभी तक 9 करोड़ रुपये की रिकवरी हुई है तथा आगामी वित्त वर्ष में इसमें और बढ़ोतरी होने की संभावना है। निगम ने ब्याज की रकम का भुगतान करने के लिए बैंकों से मार्च, 2012 तक का समय लिया हुआ है। नेफेड ने वर्ष 2003 में देशभर की 62 कंपनियों के साथ व्यापार के लिए 3,962 करोड़ रुपये का समझौता किया था जिसके आधार पर उसने वाणिज्यिक बैंकों से लोन लिया था। इनमें से ज्यादातर कंपनियां न तो आयात करती थीं और न ही निर्यात। इस वजह से ये कंपनियां नेफेड को पैसे का भुगतान नहीं कर पाईं। (Business Bhaskar......R S Rana)
17 फ़रवरी 2012
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