नई दिल्ली। खाद्य सुरक्षा विधेयक पर राज्यों के एतराज के बाद बाद अब संप्रग सरकार के मंत्रियों ने विरोधी स्वर अलापना शुरू कर दिया है। इससे सोनिया के ड्रीम प्रोजेक्ट की राह और कठिन हो गई है।
कृषि मंत्री शरद पवार ने बुधवार को सार्वजनिक वितरण प्रणाली [पीडीएस] की खामियों का हवाला देते हुए दो टूक कहा कि इसे लागू करना संभव नहीं है।
खाद्य मंत्री केवी थॉमस की राय भी कुछ ऐसी ही है। काग्रेस के संकटमोचक और वित्ता मंत्री प्रणब मुखर्जी का भी कहना है कि खाद्य सुरक्षा बिल लागू करने की भारी जिम्मेदारी सरकार ने उठाई है, लेकिन आसमान छूते सब्सिडी के आकड़ें चिता बढ़ा रहे हैं। यह सब्सिडी बिल को खतरनाक स्तर पर पहुंचा देगा। मैं इस चिंता में सो नहीं पा रहा हूं।
शरद पवार ने राज्यों-संघ शासित प्रदेशों के खाद्य एवं कृषि मंत्रियों के सम्मेलन में कहा, पीडीएस में आमूलचूल बदलाव बिना प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा बिल लागू करना मुश्किल होगा। अगर बिल को मौजूदा प्रणाली के जरिए ही लागू करने की कोशिश की गई तो यह लक्ष्य प्राप्ति में विफल साबित होगा। मैं इस पर इसलिए जोर दे रहा हूं, क्योंकि यह मेरा कर्तव्य है।
खाद्य मंत्री के वी थामस ने भी पवार की बात को सही बताते हुए कहा, हमें इस कानून को लागू करने के लिए और उत्पादन करने और पीडीएस को मजबूत करने की जरूरत है। सम्मेलन को संबोधित करते हुए वित्ता मंत्री प्रणब मुखर्जी ने पीडीएस में सुधार की वकालत करते हुए कहा कि केंद्र और राज्यों को मिलकर इस समस्या को दूर करने की जरूरत है। बढ़ते सब्सिडी बिल पर गंभीर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा, चालू वित्ता वर्ष में इसके 2.34 लाख करोड़ रुपये के पार जाने का अनुमान है। मुखर्जी ने यह कहने से भी गुरेज नहीं किया, मैं इस चिंता में सो तक नहीं पा रहा हूं। प्रस्तावित विधेयक के तहत 63.5 फीसदी आबादी को सस्ती दर पर अनाज मुहैया कराया जाएगा। विधेयक को दिसंबर, 2011 में संसद में पेश किया गया। संसद की स्थायी समिति इस पर विचार कर रही है।
खाद्य सुरक्षा बिल को लागू करने के लिए सालाना करीब 6 करोड़ 50 लाख टन खाद्यान्न खरीदना होगा। अभी औसतन 5 करोड़ 55 लाख टन खाद्यान्न खरीदा जाता है। (jagarn)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें