बिजनेस भास्कर नई दिल्ली
गेहूं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार सार्वजनिक ने कंपनियों एमएमटीसी, एसटीसी, पीईसी और नेफेड को निर्यात की अनुमति देने पर विचार कर रही है। वर्तमान में निर्यात की अनुमति प्राइवेट कंपनियों को दी हुई है जो खुले बाजार से गेहूं की खरीद कर निर्यात कर सकती है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक कंपनियों को भी गेहूं निर्यात की अनुमति देने की योजना है। 9 सितंबर को सरकार ने गेहूं और गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति दी थी। सितंबर से अभी तक गैर-बासमती चावल का निर्यात 22 लाख टन से ज्यादा का हो चुका लेकिन इस दौरान गेहूं का निर्यात केवल 3.9 लाख टन गेहूं का ही हुआ है।
प्रवीन कॉमर्शियल कंपनी के डायरेक्टर नवीन गुप्ता ने बताया कि हालांकि हाल ही में रुपये के मुकाबले डॉलर कमजोर होने से निर्यातकों को पड़ते नहीं लग रहे हैं। भारत के मुकाबले रूस और यूक्रेन का गेहूं सस्ता है जबकि ऑस्ट्रेलिया में भी पैदावार पिछले साल की तुलना में ज्यादा है। इसीलिए भारत से निर्यात पड़ते नहीं लग रहे हैं। रूस के गेहूं का भाव 245 डॉलर, यूक्रेन का 242 डॉलर और ऑस्ट्रेलिया का 254 डॉलर प्रति टन (एफओबी) है। इसके मुकाबले भारतीय गेहूं का दाम ज्यादा है। रूस में गेहूं का उत्पादन 562 लाख टन, यूक्रेन में 220 लाख टन और ऑस्ट्रेलिया में 283 लाख टन होने का अनुमान है। इंटरनेशनल ग्रेन काउंसिल (आईजीसी) के अनुसार विश्व में गेहूं का उत्पादन पहले के अनुमान 68.3 करोड़ टन के मुकाबले बढ़कर 69 करोड़ टन होने का अनुमान है। कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार देश में गेहूं का रिकार्ड उत्पादन 883.1 लाख टन का अनुमान है जबकि एक फरवरी को केंद्रीय पूल में गेहूं का 234.25 लाख टन का स्टॉक बचा हुआ है। अप्रैल में नई फसल की आवक शुरू हो जाएगी। ऐसे में घरेलू बाजार में मार्च तक गेहूं की मौजूदा कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है। मुंदड़ा बंदरगाह पर गुजरात के गेहूं का भाव 1,250 रुपये और राजस्थान के गेहूं का भाव 1,300 रुपये प्रति क्विंटल है लेकिन पड़ते नहीं होने के कारण निर्यातक खरीद नहीं कर रहे हैं। (Business Bhaskar...R S Rana)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें