पिछले साल के मुकाबले इस साल हरियाणा में गन्ने की पेराई तेजी से हो रही है। राज्य कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक 31 जनवरी तक राज्य में 281.99 लाख टन गन्ने की पेराई हो चुकी है और कुल 23.09 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ है। पिछले साल की समान अवधि में 226 लाख क्लिंटल गन्ने की पेराई हुई थी और कुल 18.24 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ था। हरियाणा में 14 चीनी मिलें हैं (10 सहकारी, निजी क्षेत्र की 3 और हेफेड प्रबंधित एक मिल)।
इस साल गन्ने की पेराई में बढ़ोतरी इसलिए हुई है क्योंकि हरियाणा में गन्ने का रकबा बढ़ा है। साल 2011 में 2 लाख हेक्टेयर में गन्ने की बुआई हुई जबकि पिछले साल 1.45 लाख हेक्टेयर में गन्ने की बुआई हुई थी। पिछले साल के मुकाबले इस साल रकबा 38 फीसदी बढ़ा है। इस साल (में 430 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई का लक्ष्य रखा गया है और इसके लिए 45-50 लाख क्विंटल चीनी उत्पादन का अनुमान है। राज्य में निजी क्षेत्र की चीनी मिलों में से एक सरस्वती शुगर मिल इस साल 140 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई कर सकती है और मिल का कुल चीनी उत्पादन 14.28 लाख क्विंटल हो सकता है।
सहकारी चीनी मिलों के वित्तीय आयुक्त और प्रधान सचिव कृष्ण मोहन ने कहा कि राज्य की 10 सहकारी मिलों की स्थापित क्षमता 2,37,500 क्विंटल रोजाना की है और मिलों ने 385 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई का लक्ष्य रखा है।
गन्ने के रकबे में बढ़ोतरी सरकार के लिए शुभ संकेत है क्योंकि सरकार गन्ने के रकबे में बढ़ोतरी सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रही है। साल 2007-08 में राज्य में 1.40 लाख हेक्टेयर में गन्ने की बुआई हुई थी, जो साल 2009-10 में घटकर 72,000 हेक्टेयर रह गया। इस तरह रकबे में कुल 38 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इसके बाद सरकार ने गन्ना उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहन के कई कदम उठाए। साल 2011-12 के पेराई सीजन में राज्य सरकार ने गन्ने की तीन किस्मों की कीमतें बढ़ाकर 231 रुपये, 226 रुपये और 221 रुपये प्रति क्विंटल कर दी। (BS Hindi)
15 फ़रवरी 2012
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