वायदा बाजार आयोग ने कहा है कि जिंस एक्सचेंज वसूली गई जुर्माने की रकम 31 मार्च तक निवेशक सुरक्षा कोष में जमा कर दें और 10 अप्रैल तक इस संबंध में नियामक के पास रिपोर्ट जमा करा दें। जिंस एक्सचेंजों को भेजे निर्देश में नियामक ने कहा है - '1 अप्रैल 2006 से वसूली गई जुर्माने की रकम एक्सचेंज आईपीएफ खाते में मार्च 2012 तक जमा करा दें। साथ ही इस निर्देश के अनुपालन की रिपोर्ट वे 10 अप्रैल 2012 तक नियामक के पास जमा करा दें।'
ऐंजल ब्रोकिंग के सहायक निदेशक नवीन माथुर ने कहा - 'इस खाते में जमा रकम से जागरूकता कार्यक्रम चलाने, सेमिनार के आयोजन और कारोबारियों को शिक्षित करने की खातिर चलाई जाने वाली दूसरी योजनाओं पर होने वाले खर्च में मदद मिलेगी।'
नियामक ने पहली बार ऐसा दिशानिर्देश जुलाई 2006 में जारी किया था और जिंस एक्सचेंजों को बतौर जुर्माना वसूली गई रकम आईपीएफ खाते में जमा करने का निर्देश दिया था। पिछले महीने के आखिर में एफएमसी ने एक्सचेंजों से कहा था कि वे अनिवार्य रूप से वित्त वर्ष के आखिर तक आईपीएफ ट्रस्ट का पंजीकरण करा लें।
नियामक की तरफ से उचित दिशानिर्देश के अभाव में राष्ट्रीय स्तर के तीन एक्सचेंज एमसीएक्स, एनसीडीईएक्स और एनएमसीई जुर्माने के तौर पर वसूली गई रकम एक्सचेंज की आय के तौर पर मान रहे थे। लेकिन जुलाई 2006 में आईपीएफ की बाबत दिशानिर्देश जारी होने के बाद एक्सचेंज ने जुर्माने के तौर पर वसूली गई रकम को निवेशकों के हितों की रक्षा की खातिर एक अलग खाते में रखने लगे। लेकिन अब तक आईपीएफ खाते में पूरी रकम जमा नहीं की गई थी। कारोबारी सूत्रों के मुताबिक, एक्सचेंजों ने करीब 20 करोड़ रुपये इकट्ठा किए हैं और फरवरी 2007 तक इसे अपनी कंपनी के खातों में जमा रखा, जब एफएमसी ने एक बार फिर दिशानिर्देशों को दोहराया। इन एक्सचेंजों ने हालांकि नियामक के सामने दलील दी थी कि जुर्माने के तौर पर वसूली गई रकम को एक्सचेंज की आय मान ली जाए। लेकिन एफएमसी ने इसे अस्वीकार कर दिया था। एफएमसी ने हालांकि एक्सचेंजों को कुल रकम का 10 फीसदी प्रशासनिक खर्च के तौर पर अलग रखने की छूट दे दी है।
आईपीएफ खाते में निवेशकों द्वारा गड़बड़ी किए जाने के बाद उनसे वसूली गई रकम जमा की जाती है। इसका इस्तेमाल डिफॉल्ट की स्थिति में निवेशकों की सुरक्षा के लिए किया जाता था। लेकिन इस खाते में काफी कम रकम जमा है यानी कुछ हजार रुपये। ऐसे में एफएमसी चाहता है कि आईपीएफ में मजबूती लाई जाए और इसका अनिवार्य रूप से पंजीकरण हो।
खाद्य, उपभोक्ता मामले और जन वितरण पर गठित स्थायी समिति के चेयरमैन विलास मुत्तेमवार की रिपोर्ट में कहा गया है कि जिंस एक्सचेंजों के सहयोग से एफएमसी को देश में छोटे किसानों के बीच जागरूकता कार्यक्रम का संचालन करना चाहिए और इसमें तेजी लाई जानी चाहिए। ऐसे में एफएमसी चेयरमैन रमेश अभिषेक ने इस कोष के एक हिस्से का इस्तेमाल जिंस एक्सचेंजों की बाबत और जागरूकता फैलाने में करने का प्रस्ताव रखा है। (BS Hindi)
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