चालू खाते के बढ़ते घाटे पर नियंत्रण के लिहाज से सोने का आयात सरकार के लिए सिरदर्द बन चुका है, लेकिन अगले वित्त वर्ष में सोने का आयात नरम रहने की संभावना है। एक ओर जहां प्रधानमंत्री के सलाहकार आयात में 30 फीसदी की गिरावट का अनुमान जता रहे हैं, वहीं उद्योग के दिग्गजों का मानना है कि अगर कीमतें उच्चस्तर पर रहीं और सरकार ने बेकार पड़े सोने को बाजार में लाने के लिए कुछ ठोस कदमों का ऐलान करें तो आयात में 15-20 फीसदी की गिरावट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि बेकार पड़े सोने को बाजार में लाना आयात का बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। अगर अगले वित्त वर्ष में सोने के आयात में अनुमानित गिरावट आंशिक रूप से भी पूरी हुई तो चालू खाते के घाटे को नियंत्रित करने की बाबत बड़ी राहत होगी।
प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) की रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल-जनवरी की अवधि में 50 अरब डॉलर के सोने का आयात हुआ और इस वित्त वर्ष में इसके 58 अरब डॉलर पर पहुंचने की संभावना है। इसमें चांदी के आयात का आंकड़ा भी शामिल है, लेकिन यह महज 3-4 अरब डॉलर हो सकता है। चांदी के आयात का आंकड़ा अलग से उपलब्ध नहीं है। हालांकि अगले साल के बारे में परिषद का अनुमान है कि सोने का आयात करीब 38 अरब डॉलर तक आ जाएगा, जो पिछले दो सालों के 33 अरब डॉलर व 30 अरब डॉलर के आंकड़ों के आसपास होगा।
वास्तव में मात्रा के लिहाज से सोने का आयात पिछले साल के समान स्तर के आसपास ही रहा है। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के मुताबिक, कैलेंडर वर्ष 2010 में देश में 958 टन सोने का आयात हुआ जबकि साल 2011 मेंं 969 टन। सोने की कीमतों में तीव्र बढ़ोतरी और रुपये की विनिमय दर में गिरावट के चलते आयात का आंकड़ा कीमत के लिहाज से ज्यादा हो गया।
जेम्स ऐंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के चेयरमैन राजीव जैन ने कहा - 'सोने की मौजूदा उच्च कीमतों के चलते अगले वित्त वर्ष में आयात 15-20 फीसदी घट सकता है। अगर कीमतों में गिरावट आती है तो भी कीमत के लिहाज से आयात में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी शायद ही नजर आए।' उन्होंने हालांकि कहा कि सोने का इस्तेमाल देश में विभिन्न अनुष्ठानों में होता है, लिहाजा मांग में बड़ी गिरावट की उम्मीद नहीं की जा सकती। भारत में करीब 40 फीसदी सोना निवेश के लिए खरीदा जाता है।
पीएमईएसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के मौजूदा आर्थिक हालात से आयातित सोने की मांग में गिरावट आ सकती है। परिषद ने सरकार को जीवन बीमा व म्युचुअल फंड की तरह वित्तीय संपत्ति बनाने की तरफ काम करने का सुझाव दिया है, ताकि सोने की निवेश मांग वित्तीय संपत्ति की तरफ भेजी जा सके। विशेषज्ञ हालांकि स्वर्ण जमा स्कीम को उदार बनाने की बात कह रहे हैं, जिसके जरिए बेकार पड़े सोने को व्यवस्था में लाया जा सकता है। इसके तहत आने वाला सोना आयात का विकल्प हो सकता है। इस समय सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक ने ऐसी योजना चलाई हुई है, जिसमें लॉक इन अवधि में एक फीसदी रिटर्न मिलता है।
सोने-चांदी के विश्लेषक भार्गव वैद्य ने कहा - निजी क्षेत्र के बैंकों समेत कई और बैंकों को ऐसी योजना पेश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र के बैंक ऐसी योजना की बाबत ज्यादा आक्रमक होंगी और ज्यादा रिटर्न की पेशकश भी कर सकती हैं। (BS Hindi)
25 फ़रवरी 2012
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