प्रतिकूल मौसम और पाले के चलते इस साल रैपसीड-सरसों का उत्पादन 12 फीसदी घटने की संभावना है। कारोबारियों ने कहा कि रकबे में गिरावट के साथ-साथ फसल पर पाले के असर से रैपसीड-सरसों का उत्पादन इस साल 60 लाख टन पर सीमित रह जाएगा।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के हालिया सर्वेक्षण से संकेत मिल रहा है कि साल 2010 में सरसों का कुल रकबा 72.4 लाख हेक्टेयर था और कुल उत्पादन 68.5 लाख टन था। सरसों तेल उत्पादक संघ और एसईए फिलहाल रैपसीड-सरसों का सर्वेक्षण कर रहा है और इस बाबत 26 फरवरी को रिपोर्ट पेश की जाएगी।
शुरुआती अनुमान के मुताबिक, कारोबारियों को लगता है कि कुल रकबा 66 लाख हेक्टेयर रहेगा जबकि कुल 60 लाख टन उत्पादन होगा। एसईए के रैपसीड-सरसों प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन डी पी खंडेलिया ने कहा - इस साल उत्पादन 60 लाख टन से भी नीचे जा सकता है और संभावना है कि कुल उत्पादन करीब 55 लाख टन के आसपास सिमट जाए।
रैपसीड-सरसों का मुख्य उत्पादक राज्य राजस्थान है। रैपसीड-सरसों रबी की फसल है और देश के कुल रकबे का करीब आधा हिस्सा राजस्थान में है। पाले के चलते कई राज्यों में सरसों की फसल खराब हो गई है। खबर है कि हरियाणा के कुछ जिले में पाले के चलते सरसों की फसल खराब हुई है और सरकार किसानों को मुआवजा देने पर विचार कर रही है।
हालांकि कारोबारियों का कहना है कि इस साल सरसों-रैपसीड में तेल का प्रतिशत पिछले साल के मुकाबले करीब 1.5 फीसदी ज्यादा रहेगा। इसके चलते उत्पादन में होने वाली कमी की थोड़ी बहुत भरपाई करने में मदद मिलेगी। (BS Hindi)
25 फ़रवरी 2012
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