खाद्य, उर्वरक और पेट्रोलियम सब्सिडी के बोझ ने वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की रातों की नींद उड़ा दी है। वित्त मंत्री ने बुधवार को राजधानी दिल्ली में आयोजित राज्यों के कृषि व खाद्य मंत्रियों के सम्मेलन में खुद यह बात कही। दो दिन का यह सम्मेलन लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली और भंडारण के मुद्दे पर बुलाया गया है।
प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘‘वित्त मंत्री के तौर पर जब मैं विभिन्न मदों में दी जाने वाली भारी सब्सिडी के बारे में सोचता हूं तो मेरी नींद उड़ जाती है। इसमें कोई शक नहीं।’’ बता दें कि
चालू वित्त वर्ष के दौरान खाद्य, उर्वरक और पेट्रोलियम सब्सिडी के बजट अनुमान से कम से कम एक लाख करोड़ रुपए बढ़ जाने का अंदेशा है। बजट में 1.43 लाख करोड़ रुपए सब्सिडी का अनुमान है, जबकि वास्तव में इसके 2.45 लाख करोड़ रुपए के आसपास रहने का आकलन है।
माना जा रहा है कि प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा कानून के अमल में आने के बाद जहां एक तरफ खाद्यान्नों की आपूर्ति बढ़ाने की जरूरत होगी, वहीं दूसरी तरफ सरकार का सब्सिडी बोझ भी बढ़ेगा। राशन व्यवस्था और खाद्य सुरक्षा की बात करते-करते वित्त मंत्री का ध्यान अचानक सब्सिडी बोझ की तरफ चला गया। उर्वरक सब्सिडी के लिए इस साल 50,000 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान है। यह अभी तक 67,700 करोड़ रुपए हो चुकी है और मार्च 2012 तक एक लाख करोड़ रुपए हो जाने का अनुमान है।
वित्त मंत्री 16 मार्च को 2012-13 का आम बजट पेश करेंगे। वित्त मंत्री ऐसे माहौल में यह बजट लाएंगे, जब दुनिया में आर्थिक अनिश्चितता छाई है। देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार भी धीमी पड़ी है और राजस्व प्राप्ति व खर्च के बीच अंतर बढ़ रहा है। इस साल राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.6 फीसदी रहने का बजट अनुमान है, लेकिन माना जा रहा है कि यह बढ़कर कम से कम 5.6 फीसदी पर पहुंच जाएगा। (Aarth Kam)
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