जल्द ही लोगों के लिए चाय की चुस्की महंगी हो सकती है। दरअसल श्रम लागत में बढ़ोतरी के कारण भारतीय चाय संगठन (आईटीए) नए सत्र में आने वाली चाय की फसल के दाम बढ़ाने की योजना बना रहा है। इसके बाद चाय के खुदरा दाम 10-12 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़ सकते हैं।
आईटीए के वाइस चेयरमैन एवं गुडरिक ग्रुप के प्रबंध निदेशक अरुण एन सिंह ने कहा, 'दार्जिलिंग, असम और बंगाल जैसे चाय उत्पादक राज्यों में श्रम लागत में 34 फीसदी इजाफा हो चुका है। इस कारण चाय के खुदरा दाम में 10 से 12 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी होगी। हालांकि यह बढ़ोतरी एक साथ नहीं की जाएगी।'
पिछले तीन साल के दौरान चाय का विक्रय मूल्य तीन गुना ज्यादा हो गया है लेकिन उत्पादकों पर चाय की गुणवत्ता सुनिश्चित रखने का भी दबाव होता है। उद्योग के प्रतिनिधियों ने कहा कि विनिर्माण प्रक्रिया में अंतर होने के बावजूद चाय की गुणवत्ता बरकरार रखी जाती है। वर्ष 1997 से लेकर 2007 का समय चाय उद्योग के लिए खराब रहा है। इस दौरान चाय की मांग में काफी गिरावट दर्ज की गई थी। लेकिन 2008 के बाद से चाय की मांग में लगातार इजाफा हो रहा है। आईटीए की निर्यात एवं आयात समिति के चेयरमैन आजम मोनेम ने कहा, 'चाय की खपत में सालाना 2.5 फीसदी इजाफा हो रहा है और इसके दाम भी बढ़ रहे हैं।'
इस साल देश में चाय की खपत 86 करोड़ किलोग्राम होने और आपूर्ति 79.5 करोड़ किलोग्राम रहने की उम्मीद है। 2011 में उत्पादन बेहतर रहने के बावजूद बढ़ती खपत और भंडार नहीं होने के कारण उद्योग को नए सत्र में फसल के दाम बढऩे की उम्मीद है। 2011 में चाय उद्योग का उत्पादन 98.8 करोड़ किलोग्राम रहा था, जो 2010 के मुकाबले 23 फीसदी ज्यादा है।
हालांकि चाय की प्रति व्यक्ति खपत अभी कम ही है। भारतीय चाय बोर्ड के लिए ओआरजी-मार्ग द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार देश में चाय की प्रति व्यक्ति खपत 0.8 किलोग्राम है जबकि पाकिस्तान के लिए यह आंकड़ा 0.95 किलोग्राम, बांग्लादेश व श्रीलंका के लिए 1.2 किलोग्राम और आयरलैंड, तुर्की व ब्रिटेन के लिए यह आंकड़ा 2 किलोग्राम से भी ज्यादा है। सिंह ने कहा, 'भारत बेहद जटिल बाजार है। यहां चाय की प्राथमिकता और उसे पीने के तरीकों में काफी विविधता है।' (BS Hindi_
16 फ़रवरी 2012
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