09 फ़रवरी 2012
तमिलनाडु को नहीं चाहिए खाद्य सुरक्षा कानून
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के बाद तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने भी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक के मसौदे को खारिज करते हुए कहा है कि यह मसौदा भ्रम और अशुद्धि से भरा है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में जया ने तमिलनाडु को खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे से बाहर रखने की भी मांग की है। साथ ही उन्होंने केंद्र द्वारा राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण करने पर रोक लगाने की भी अपील की है। जया ने कहा कि इस तरह की जनकल्याणकारी योजनाओं को बनाने और उन्हें लागू करने का काम राज्य सरकारों को सौंप दिया जाना चाहिए। उधर, योजना आयोग उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने खाद्य सब्सिडी के कारण पड़ने वाले 21 हजार करोड़ के अतिरिक्त बोझ को कम करने के लिए तेल सब्सिडी खत्म करने का सुझाव दिया है। जया से पहले विधेयक का विरोध करते हुए नीतीश ने कहा था कि योजना का खर्च केंद्र सरकार खुद उठाए। जबकि पटनायक ने कहा था कि बिना किसी शर्त के हर गरीब को सस्ता अनाज योजना के तहत लाया जाना चाहिए। मंगलवार को जयललिता ने प्रस्ताव पर केंद्र की ओर से राज्य के मांगे गए विचार पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर जवाब दिया। जया ने विधेयक में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के जरिये खाद्य सुरक्षा के लक्ष्य को हासिल करने वाले प्रावधान पर कहा कि टीपीडीएस को जबर्दस्ती लागू कराने से 1800 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। जबकि केंद्र की ओर से इस संबंध में कोई भी वैधानिक प्रतिबद्धता नहीं है। सोमवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि खाद्य सुरक्षा विधेयक के वित्तीय बोझ को केंद्र सरकार को उठाना चाहिए। राज्य सरकारें इसे वहन करने की स्थिति में नहीं हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना के लाभार्थियों की पहचान एक स्वतंत्र आयोग के जरिये की जाए। वहीं, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा था कि प्रत्येक गरीब को बिना किसी शर्त के सस्ता अनाज योजना के तहत लाया जाना चाहिए। (BS Hindi)
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