कृषि मंत्रालय के वर्ष 2011-12 के दूसरे अग्रिम अनुमान में दलहन का उत्पादन 5.2 फीसदी कम होकर 172.8 लाख टन रहने की उम्मीद जताई गई है। पिछले वर्ष देश में दलहन का उत्पादन 182.4 लाख टन हुआ था। सरकारी बयान में खरीफ सीजन में बारिश के असमान वितरण और रबी की बारिश में कमी को इसकी वजह माना जा रहा है। इस साल जाड़े की बारिश करीब 50 फीसदी कम हुई है। बुआई कम होने और कई इलाकों में भारी कोहरे से फसल पर असर पड़ा। खरीफ सीजन में फसल कमजोर रहने की आशंका से सरकार ने रबी के लिए विशेष दलहन प्रोत्साहन योजना चालू की थी, जिसके तहत देश के 12 प्रमुख दलहन उत्पादक इलाकों के लिए 80 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। सरकार दावा कर रही थी कि इस राशि का उपयोग सिंचाई की व्यवस्था करने और नई तकनीक में होगा।
सरकारी अनुमान के अनुसार इस सीजन में चने का उत्पादन 6.8 फीसदी कम होकर 76.6 लाख टन होने की उम्मीद है। पिछले साल देश में 82.2 लाख टन चने की उपज हुई थी। ताजा आंकड़ों केअनुसार इस साल अभी तक चने का कुल रकबा 89.57 लाख हेक्टेयर ही पहुंचा है, जो पिछले साल 93.41 लाख हेक्टेयर से 4.11 फीसदी कम है। चने के प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में बुआई हो चुकी है। राजस्थान सरकार के पहले अग्रिम अनुमान में कहा गया है कि रबी सीजन में चने का उत्पादन 7.8 फीसदी गिरकर 14.75 लाख टन रह सकता है जबकि पिछले साल राज्य में उत्पादन 16 लाख टन रहा था। महाराष्ट्र में चने का उत्पादन 42 फीसदी कम होकर 7.5 लाख टन और कर्नाटक में पिछले साल के 6 लाख टन की जगह 4.98 लाख टन उत्पादन हो सकता है।
उत्पादन कम होने और बाजार में मांग बढऩे की आशंका की वजह से चने की कीमतों में गरमाहट शुरू हो गई है। पिछले सप्ताह चने की कीमतें करीब 5 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ थोक हाजिर बाजार में 3338 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच गईं।
वायदा बाजार में भी कीमतें 5 फीसदी की तेजी केसाथ 3300 रुपये प्रति क्विंटल (एनसीडीईएक्स फरवरी अनुंबध) पर पहुंच चुकी हैं। ऐंजल कमोडिटी की नलिनी राय कहती हैं, फिलहाल चने की कीमतें लगभग निचले स्तर पर हैं, इसलिए यहां से कीमतों का नीचे जाना मुश्किल है। (BS Hindi)
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