प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के चेयरमैन सी. रंगराजन ने कहा है कि चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त करने के मसले से जुड़े सभी बिंदुओं पर गहराई से जांच के लिए विशेषज्ञ समिति बनाई गई है। यह समिति छह माह में अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले जनवरी में रंगराजन की अगुवाई में विशेषज्ञ समिति बनाई थी।
रंगराजन ने खाद्य, कृषि और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की एक बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि हम चीनी उद्योग से जुड़े सभी मुद्दों को समझने और उनका समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं। विशेषज्ञ समिति की हर महीने बैठक हो रही है और उम्मीद है कि हम अगले छह माह में अपनी रिपोर्ट दे देंगे। चीनी का मुद्दा सरकार के लिए खासा संवेदनशील है।
चीनी के दाम बढऩे पर सरकार को उपभोक्ताओं की गुस्सा झेलनी पड़ सकती है। इस वजह से सरकार किसी भी तरह से चीनी महंगी नहीं होने देना चाहती है। मौजूदा नियंत्रणों के तहत सरकार मिलों से 10 फीसदी चीनी सस्ते दामों पर लेवी के तहत खरीदती है और गन्ने का मूल्य केंद्र और राज्य स्तर पर तय किया जाता है। मिलों को गन्ना खरीद के लिए राज्य सरकार द्वारा घोषित मूल्य देना होता है और अगर किसी राज्य ने मूल्य घोषित नहीं किया है तो केंद्र सरकार का मूल्य लागू होता है।
सरकार हर माह बिक्री के लिए चीनी का कोटा तय करती है। मिलों को कोटे के अनुरूप चीनी की बिक्री करनी होती है। इस तरह मिलों को चीनी बेचने की आजादी नहीं है। लेकिन मिलों को इन नियंत्रणों के तहत केन रिजर्व एरिया का अधिकार मिलती है। किसी क्षेत्र विशेष में कोई दूसरी मिल गन्ने की खरीद नहीं कर सकती है। (Business Bhaskar)
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