करीब एक साल तक लगातार कीमतों में कटौती की मार झेलने वाले पॉलिमर विनिर्माता पॉलिप्रोपलीन की कीमतें 2 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़ा सकते हैं। इसकी वजह सालाना रखरखाव के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा अपनी तीन इकाइयों को बंद करने का ऐलान और वैश्विक बाजार में कीमतों में आई मजबूती है। पॉलिथिलीन की कीमतें हालांकि इसी स्तर पर बनी रहने की संभावना है। इससे पहले हल्दिया पेट्रोकेमिकल ने सालाना रखरखाव के लिए अपनी इकाइयां बंद की थीं। उद्योग के सूत्रों ने आगाह किया कि घरेलू बाजार में मांग में बढ़ोतरी इसकी वजह नहीं है बल्कि पॉलिमर के प्रमुख उत्पादकों द्वारा क्षमता में की गई कटौती है।
इसके अलावा चीन, ताइवान और जापान में मांग बढऩे के चलते आयात महंगा हो गया है। इन देशों के बाजार 15 दिसंबर के बाद से निष्क्रिय हो गए थे और अब चीनी नव वर्ष के बाद खुल गए हैं। पॉलिमर खास तौर से पॉलिप्रोपलीन की वैश्विक कीमतें 100-120 डॉलर प्रति टन बढ़ गई हैं और अब यह 1400-1420 डॉलर प्रति टन पर बिक रहा है जबकि एक महीने पहले इसका भाव 1300-1320 डॉलर प्रति टन था।
दूसरी ओर पॉलिविनाइल यानी पीवीसी विनिर्माता देश में इसका इस्तेमाल करने वालों के पास ज्यादा भंडार होने के चलते दुविधा में हैं, लेकिन कीमतें बढ़ाने के लिए मौके का इंतजार कर रहे हैं। दक्षिण पूर्वी व पूर्वी देशों से मांग में तेजी के चलते वैश्विक कीमतें बढ़ी हैं और यह पिछले कुछ दिनों में 970-990 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 1000-1020 डॉलर प्रति टन हो गई हैं।
कंपनी के सूत्रों ने कहा - कीमतों में बढ़ोतरी के लिए विनिर्माता वैश्विक कीमतों व डॉलर की चाल का इंतजार करेंगे और एक हफ्ते में ऐसा हो सकता है। अगर वैश्विक कीमतों में बढ़त जारी रहती है और रुपये के मुकाबले डॉलर स्थिर रहता है या मजबूत होता है तो कीमतें बढ़ सकती हैं। हालांकि आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि आयात के मोर्चे पर घरेलू बाजार में पीवीसी की कीमतें अपेक्षाकृत ज्यादा हैं क्योंकि मुनाफा बनाए रखने के लिए विनिर्माता कीमतों में कटौती नहीं करेंगी। इसकी वजह कच्चे माल की लागत ऊंची रहना भी है। सूत्रों ने कहा कि आयातित व घरेलू कीमतों के बीच का अंतर आज भी करीब 2 रुपये प्रति किलोग्राम है। पीवीसी की आधारभूत किस्म की कीमतें जनवरी में दो बार कम की गई थीं और कुल कटौती विभिन्न उत्पादों में करीब 3.50 रुपये प्रति किलोग्राम की थी। मौजूदा समय में देश में पीवीसी की आधारभूत किस्म की कीमतें 55 रुपये प्रति किलोग्राम हैं और इसमें कर शामिल नहीं है।
पॉलिप्रोपलीन और पॉलिथिलीन के मामले में घरेलू बाजार में मांग कमजोर है और ग्राहकों को खींचने के लिए विनिर्माता कीमत सुरक्षा योजना की पेशकश कर रहे हैं। पॉलिप्रोपलीन में सरकार ने सऊदी अरब से आयात पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी समाप्त कर दी है, जो विश्व के प्रमुख विनिर्माताओं में से एक है। सूत्रों ने कहा कि इस वजह से भी घरेलू बाजार में नरमी है क्योंकि सऊदी से आयात करना सस्ता है।
पीई अभी भी 80-85 रुपये प्रति किलोग्राम के दायरे में है जबकि पीपी 84-86 रुपये प्रति किलोग्राम के दायरे में। कीमत सुरक्षा योजना के तहत एक बार जब उपभोक्ता उत्पाद खरीदता है तो उसे होने वाली नुकसान की भरपाई की जाती है, अगर कंपनी एक हफ्ते या महीने के भीतर कीमतों में कटौती का ऐलान करती है। पॉलिमर के प्रमुख विनिर्माता हल्दिया पेट्रोकेमिकल्स, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, गेल और रिलायंस इंडस्ट्रीज हैं। पॉलिप्रोपलीन का इस्तेमाल रोजाना इस्तेमाल होने वाले सामानों में किया जाता है। (BS Hindi)
09 फ़रवरी 2012
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