वैश्विक स्तर पर इस साल इफरात चीनी की उपलब्धता से विश्व के बाजार में आपूर्ति करने की भारतीय निर्यातकों की मंशा और इससे ज्यादा रकम हासिल करने की उम्मीद शायद ही पूरी हो पाएगी। वित्तीय दबाव का सामना कर रही भारत की चीनी उत्पादक कंपनियां सरकार की अनुमति से ज्यादा कीमत पर चीनी की बिक्री के लिए वैश्विक बाजार में मौके तलाश रही हैं।
राबो बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर चीनी का उत्पादन लगातार दूसरे साल यानी 2012-13 में मांग के मुकाबले 60 से 80 लाख टन ज्यादा होगा। बार्कलेज बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक बाजार में इफरात चीनी उपलब्ध होगी और ब्राजील में उत्पादन घटने के बावजूद कुल 54 लाख टन चीनी ज्यादा उपलब्ध होगी।
बार्कलेज का अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर साल 2011-12 में चीनी का उत्पादन साल दर साल के हिसाब से 4.2 फीसदी बढ़ेगा क्योंकि यूरोप में उम्मीद से बेहतर फसल हुई है। साथ ही ऑस्ट्रेलिया, भारत और थाईलैंड में अनुकूल मौसम व बेहतर कीमत के चलते किसानों ने गन्ने का रकबा बढ़ा दिया है। इसके चलते ब्राजील में उत्पादन में होने वाली कमी की भरपाई हो जाएगी। वैश्विक स्तर पर साल 2011-12 में 17.3 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान है।
चीनी उत्पादक कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा - इस वजह से निश्चित तौर पर वैश्विक बाजार में ऊंची कीमतों पर चीनी बेचने की कंपनियों की मंशा पूरी नहीं हो पाएगी। लेकिन यह चीनी के उत्पादन और गन्ने से सीधे एथेनॉल उत्पादन में इस्तेमाल की जाने वाली गन्ने की मात्रा पर निर्भर करेगा।
ब्राजील में गन्ने का उत्पादन साल 2012-13 में 52 करोड़ टन पहुंचने की संभावना है। बार्कलेज का अनुमान है कि ब्राजील में चीनी का उत्पादन साल 2011-12 में 358 लाख टन रहेगा, जो साल दर साल के हिसाब से 5.8 फीसदी कम है।एक अधिकारी ने कहा - एक महीने पहले वैश्विक बाजार में चीनी की कीमतें 700 डॉलर प्रति टन थीं, जो गिरकर फिलहाल 650 डॉलर प्रति टन पर आ गई है। भारतीय बाजार में मौजूदा कीमतें भी विदेशी बाजार में आपूर्ति के आकर्षक मौके उपलब्ध करा रही हैं। भारतीय चीनी उद्योग के मुताबिक, देश में इस साल 260 लाख टन चीनी का उत्पादन होगा। सरकार ने ओजीएल के तहत अब तक 10 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति दी है। इस बात के कयास जारी हैं कि सरकार अगले हफ्ते होने वाली बैठक में 10 लाख टन और चीनी निर्यात की अनुमति दे सकती है। भारत में निर्यात के लिए उपलब्ध इफरात चीनी और विभिन्न देशों में बंपर उत्पादन के चलते कीमतों में बढ़ोतरी सीमित हो जाएगी। साल 2012 के लिए महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या ब्राजील उत्पादन में होने वाली कमी की भरपाई कर लेगा और वहां गन्ने की कितनी मात्रा का इस्तेमाल एथेनॉल के उत्पादन में होगा।
एमसीएक्स पर मार्च वायदा पिछले हफ्ते 0.345 फीसदी घटकर 2881 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया था। 21 फरवरी की आईसीई पर मार्च वायदा 0.16 सेंट बढ़कर 24.86 सेंट प्रति पाउंड पर पहुंच गया। वहीं एनसीडीईएक्स पर यह 2869 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। (BS Hindi)
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