गत दिवस इस्रायल के राजनयिक पर हमला होने के बाद भारत के चावल निर्यातकों को ईरान के साथ भुगतान का मुद्दा और उलझने की आशंका सता रही हैं। चावल निर्यातकों के संगठन ने कहा है कि इससे अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रतिबंधों का सामना कर रहे ईरान के साथ कारोबारी रिश्ते और मुश्किल हो जाएंगे।
ईरान के परमाणु कार्यक्रम के चलते उसे दंडित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने प्रतिबंध और कड़े कर दिए हैं। जबकि भारत इन प्रतिबंधों के खिलाफ जाकर ईरान के साथ कारोबारी रिश्ते बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। वह ईरान के साथ कारोबार बढाऩे और तेल सप्लाई के ऐवज में भारत से निर्यात की कोशिश कर रहा है।ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय सेतिया ने बताया कि कार बम धमाके में इस्रायली दूतावास के कर्मचारियों के घायल होने के बाद पैदा हालात में भारत और ईरान के बीच व्यापार अनिश्चितता में फंस गया है। उन्होंने कहा कि भुगतान का मामला और पेचीदा हो सकता है। हालांकि यह कहना अभी मुश्किल है कि इससे व्यापार पर कितना असर पड़ेगा। लेकिन यह तय है कि धमाके के बाद तनाव बढ़ेगा और भारत-ईरान के बीच व्यापार की संभावनाएं धूमिल होंगी। इस्रायल ने अपने कट्टर दुश्मन ईरान को धमाके लिए जिम्मेदार ठहराया है।मौजूदा दौर में ईरान के क्रूड ऑयल का सबसे बड़ा खरीदार देश भारत ही है। भारत ईरान को सालाना 11 अरब डॉलर के क्रूड ऑयल का भुगतान निपटाने के लिए गेहूं और चावल का निर्यात बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। पश्चिमी जगत के प्रतिबंधों के बाद दोनों पक्षों के बीच भुगतान में बाधा पैदा होने के बाद दोनों देशों के अधिकारी इसके निपटाने के लिए कोई तंत्र विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं।सेतिया के अनुसार भुगतान न हो पाने के कारण भारत से करीब दो लाख टन चावल आयात करने वाले ईरानी कारोबारी पहले ही डिफॉल्टर हो चुके हैं। इन आयातकों पर करीब 14.4 करोड़ डॉलर का भुगतान करना है। उन्होंने बताया कि डिफॉल्ट की रकम लगातार बढ़ती जा रही है।ईरानी आयातक भुगतान के लिए और ज्यादा समय की मांग कर रहे हैं। आमतौर पर भारतीय निर्यातक करीब 90 दिन का भुगतान के लिए समय देते हैं। अमेरिकी कृषि विभाग के अनुसार ईरान अपनी कुल चावल खपत 29 लाख टन में से 45 फीसदी चावल आयात करता है। (Business Bhaskar)
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