भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) ने स्वदेशी बीटी कॉटन विकसित किए जाने के दावों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है। स्वदेशी बीटी कॉटन को बीकानेरी नरमी (बीएन-बीटी) नाम दिया गया है। बीएन-बीटी में मोनसेंटो के बीटी कॉटन का मिश्रण होने के आरोपों के चलते इसकी बिक्री पर प्रतिबंध है।
आईसीएआर के डिप्टी डायरेक्टर जनरल स्वपन कुमार दत्ता ने बताया कि पिछले पखवाड़े गठित की गई जांच टीम का प्रमुख जवाहर लाल नेहरू यूनीवर्सिटी के वाइस चांसलर एस. के. सोपोरी को बनाया गया है। धारवाड़ की यूनीवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज, नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन बायोटैक्नोलॉजी (एनआरसीपीबी) और नागपुर के सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर कॉटन रिसर्च (सीआईसीआर) के वैज्ञानिकों ने स्वदेशी बीटी कॉटन विकसित करने का दावा किया है। आईसीएआर ने जांच दल से कहा है कि वह जांच करे कि इन वैज्ञानिकों ने स्वदेशी बीटी किस्म विकसित की है या फिर विकसित बीज बीएन-बीटी में 'मॉन-531' जीन वाले बीज का मिश्रण है।वैज्ञानिकों पर लगाए जा रहे आरोपों के अनुसार बीएन-बीटी मौलिक रूप से विकसित बीज नहीं है बल्कि इसमें 1990 के दशक में अमेरिकी कंपनी मोनसेंटो द्वारा विकसित बीटी कॉटन (मॉन-531) का ही एक वर्जन है। दत्ता के अनुसार बीएन-बीटी की बिक्री पर 2009 से ही रोक लगी हुई है।यह रोक अभी भी बरकरार है।
उन्होंने कहा कि जांच का आदेश देने की वजह सच्चाई का पता लगाना है। धारवाड़ के संस्थान से भी इस मामले की जांच करने को कहा गया है। इस संबंध में सीआईसीआर के डायरेक्टर के. आर. क्रांति ने बताया कि संस्थान जांच कमेटी को पूरा सहयोग करेगी। (Business Bhaskar)
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