बिजनेस भास्कर नई दिल्ली
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की भंडारण क्षमता के मुकाबले केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का स्टॉक काफी ज्यादा है। ऐसे में रबी विपणन सीजन वर्ष 2012-13 में अप्रैल से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदे जाने वाले 320 लाख टन गेहूं के भंडारण में एफसीआई को काफी जद्दोजहद करनी पड़ सकती है। एफसीआई के पास 31 दिसंबर की कुल भंडारण क्षमता 333.59 लाख टन की है। इसके अलावा राज्य सरकारों के पास भी करीब 250 लाख टन से ज्यादा की भंडारण क्षमता है।
कुल सरकारी भंडारण क्षमता 583.59 लाख टन है जबकि केंद्रीय पूल में पहली फरवरी को 552.51 लाख टन खाद्यान्न मौजूद था। इस समय सरकारी गोदामों में 40 लाख टन से भी कम भंडारण क्षमता उपलब्ध है। एफसीआई ने विपणन सीजन वर्ष 2011-12 में एमएसपी पर 283.4 लाख टन गेहूं की खरीद की थी।
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन 883.1 लाख टन होने का अनुमान है। वैसे भी चालू विपणन सीजन के लिए सरकार ने गेहूं का एमएसपी 1,285 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है जबकि उत्पादन मंडियों में लीन सीजन के बावजूद गेहूं के दाम इससे कम है।
ऐसे में गेहूं की सरकारी खरीद सरकार के तय लक्ष्य से भी ज्यादा होने का अनुमान है। सरकार ने 2009 में 152 लाख टन की अतिरिक्त भंडारण क्षमता तैयार करने की योजना बनाई थी। इसमें से अभी तक सिर्फ पांच टन से भी कम भंडारण क्षमता के गोदाम ही तैयार हो पाए हैं। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एचएलसी अभी तक 109 लाख टन की अतिरिक्त भंडारण क्षमता को मंजूरी दे चुकी है।
उन्होंने बताया कि 40 लाख टन की अतिरिक्त भंडारण क्षमता मार्च 2012 तक तैयार करने का लक्ष्य रखा है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत दस साल और सात साल के लिए संशोधित गारंटी योजना के तहत भंडारण क्षमता बढ़ाई जा रही है। केंद्रीय पूल में पहली फरवरी को 552.51 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक मौजूद है।
इसमें 318.26 लाख टन चावल और 234.25 लाख टन गेहूं का स्टॉक है जो बफर स्टॉक के तय मानकों के मुकाबले काफी ज्यादा है। बफर के हिसाब से पहली जनवरी को केंद्रीय पूल में 82 लाख टन गेहूं और 118 लाख टन चावल का ही स्टॉक होना चाहिए। (Business Bhaskar....R S Rana)
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