वित्त मंत्रालय ने अगले आम बजट में कमोडिटी फ्यूचर कारोबार पर टैक्स (कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स) लगाने की योजना बनाई है। इस बीच उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने इस तरह के किसी भी प्रस्ताव का विरोध किया है। उसका कहना है कि इससे उभरते कमोडिटी वायदा कारोबार का विकास प्रभावित होगा।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के सचिव राजीव अग्रवाल ने एसोचैम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं को बताया कि हम सीटीटी लगाए जाने के पक्ष में नहीं है। शेयर कारोबार पर लागू सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स की तरह कमोडिटी वायदा कारोबार पर सीटीटी लगाए जाने से इस बाजार के विकास में बाधा आएगी। उन्होंने कहा कि कमोडिटी वायदा कारोबार तमाम कमोडिटी के प्राइस डिस्कवरी के मकसद से शुरू किया गया था। इसकी शेयर बाजार के कारोबार से तुलना करना ठीक नहीं होगा। अटकलों के मुताबिक वित्त मंत्रालय सीटीटी लगाने के चार साल पुराने प्रस्ताव को दुबारा लाने पर विचार कर रहा है। वर्ष 2008-09 का बजट पेश करते हुए तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने 0.017 फीसदी (एक लाख रुपये के वायदा कारोबार पर 17 रुपये) सीटीटी लगाने का प्रस्ताव रखा था। पिछले माह उपभोक्ता मामलों के मंत्री के. वी. थॉमस ने वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को भी पत्र लिखा था। उन्होंने कहा कि अगर वित्त विधेयक 2012 में कमोडिटी वायदा कारोबार पर सीटीटी लगाने का प्रस्ताव है तो उसे स्थगित किया जाना चाहिए।(Business Bhaskar)
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