मुंबई November 28, 2011
एक ओर जहां निकाय चुनावों के बाद महाराष्ट्र कपास उत्पादकों के लिए प्रोत्साहन के प्रस्ताव की समीक्षा करेगा वहीं, भारतीय कपास निगम (सीसीआई) ने अभी तक कपास की खरीद शुरू नहीं की है, जबकि नवंबर का महीना बीत चुका है। निगम की कीमतों पर इंतजार करो और देखो (वेट ऐंड वॉच) की नीति अपनाने से खरीदारी में और देर हो सकती है। अंतरराष्ट्रीय और घरेलू कीमतों में रोजाना गिरावट रही है, लेकिन घरेलू कीमतें अब भी सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर बनी हुई हैं। इस बारे में जानकारी रखने वाले एक स्रोत ने कहा कि 'पिछले साल हमने रिकॉर्ड कीमतों पर कपास की खरीद की थी और किसानों को फायदा पहुंचाने का यह वाणिज्यिक निर्णय था। उसी तरह इस साल भी हम एक वाणिज्यिक निर्णय के रूप में खरीद शुरू करने से पहले बाजार कीमतों के स्थिर होने का इंतजार करेंगे। जब कीमतों के नीचे आने के संकेत दिखाई दे रहे हैं तो इस समय ऊंची कीमतों पर खरीदारी करना उचित नहीं होगा। इसके अलावा खरीदारी कभी भी एमएसपी से नीचे नहीं होगी। ऊंची कीमतों पर फसल की खरीद करने की हमारे लिए कोई वजह नहीं है।.स्र्रोत ने कहा, 'इससे खरीदारी में देरी हो सकती है, लेकिन पहले कीमतों का कम से कम एमएसपी के आसपास स्थिर होना जरूरी है। वहीं, कपास उत्पादक हेक्टेयर के हिसाब से प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद में अपना माल नहीं बेच रहे हैं, जिसके बारे में विचार करने का महाराष्ट्र सरकार ने आश्वासन दिया है। दूसरी ओर कपास निर्यातक जब तक बिक्री नहीं कर रहे हैं तब तक उन्हें अच्छा ऑर्डर और खरीदार नहीं मिलता, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मांग की स्थिति बहुत अधिक उत्साहजनक नहीं है।. इससे चलते आपूर्ति बढ़ रही है और इसकी कोई वजह नहीं है कि सीसीआई को ऊंची कीमतों पर खरीदारी क्यों करनी चाहिए। यहां तक की बिनौले की कीमतें नीचे आ रही हैं।. (BS Hindi)
29 नवंबर 2011
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