नई दिल्ली : खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को लेकर संसद के अंदर और बाहर तीखे विरोध को देखते हुए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने सोमवार को सीधे सांसदों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों से संपर्क साधा और उन्हें इस मुद्दे पर संकीर्ण राजनीति से ऊपर उठकर विचार करने पर जोर दिया।
लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों को भेजे पत्र में शर्मा ने कहा है, ‘मैं इसे अपना कर्तव्य समझता हूं कि कुछ राजनीतिक दलों ने जो आशंकाएं जताई हैं, उन पर स्थिति स्पष्ट करूं।’ शर्मा ने वरिष्ठ भाजपा नेता एवं लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, राज्य सभा में नेता विपक्ष अरुण जेटली, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी, कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद डी. राजा, राष्ट्रीय जनता दल पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद यादव, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को पत्र भेजकर स्थिति स्पष्ट करने का प्रयास किया।
शर्मा ने कहा कि पार्टियों को संकीर्ण राजनीति से उपर उठकर भारतीय राजनीतिक प्रणाली को मजबूत बनाना चाहिए। हालांकि, उन्होंने कहा कि निर्णय लेने से पहले व्यापक विचार विमर्श किया गया। बहुब्रांड खुदरा कारोबार में 51 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देने के सरकार के फैसले का व्यापक राजनीतिक विरोध हो रहा है। माना जा रहा है कि खुदरा कारोबार में बड़ी विदेशी कंपनियों के आने से छोटी-छोटी किराना दुकानों के समक्ष संकट खड़ा हो जाएगा।
विपक्ष के साथ साथ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की भागीदार तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक ने सरकार से निर्णय वापस लेने की मांग की है। यह फैसला केंद्रीय मंत्रिमंडल की 24 नवंबर को हुई बैठक में लिया गया था। शर्मा ने स्पष्ट किया कि नीति तैयार करते समय लाखों छोटे खुदरा व्यापारियों की रोजीरोटी का भी ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न की खरीद में पहला अधिकार सुरक्षित रखते हुये सरकार ने गरीबों की खाद्य सुरक्षा को भी ध्यान में रखा है।
खुदरा क्षेत्र में बढ़ाचढ़ाकर मूल्य तय करने की चिंता पर शर्मा ने कहा कि इस मामले में प्रतिस्पर्धा आयोग निगरानी रखेगा। मैंने इस मुद्दे पर विशेष तौर से प्रतिस्पर्धा आयोग के अध्यक्ष के साथ चर्चा की है। खुदरा क्षेत्र में नियामक लाकर जरूरी निगरानी और संतुलन रखा जा सकता है। (Z news)
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