मुंबई November 16, 2011
वैश्विक अनिश्चितता को देखते हुए डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में लगातार गिरावट देखी जा रही है। अर्थशास्त्रियों और कारोबारियों का कहना है कि डॉलर के मुकाबले रुपया अपने न्यूनतम स्तर के करीब पहुंच गया है और यूरो क्षेत्र में संकट गहराने से भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 52 रुपये के स्तर को छू सकती है।बुधवार को रुपये में करीब 7 पैसे की गिरावट दर्ज की गई और यह डॉलर के मुकाबले 50.73 रुपये पर पहुंच गया। मार्च 2009 में भारतीय मुद्रा अपने न्यूनतम स्तर 51.97 रुपये पर पहुंच गई थी। पिछले तीन माह के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये में करीब 15 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।रेटिंग एजेंसी केयर के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, 'रुपये में गिरावट से देश के व्यापार संतुलन पर असर पड़ रहा है। निर्यात में नरमी का रुख देखा जा रहा है जबकि आयात में तेजी आ रही है। इसके चलते डॉलर भी बाहर निकल रहा है।' उन्होंने कहा कि यूरोपीय ऋण संकट अगर आगे भी जारी रहा तो साल के अंत तक भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 52 रुपये के स्तर पर पहुंच सकता है।तेल आयात की मांग बढऩे से भी डॉलर मजबूत हो रहा है और फंड का देश से बाहर जाने के चलते भी रुपया कमजोर हो रहा है। बंबई स्टॉक एक्सचेंज के मुताबिक बुधवार को विदेशी निवेशकों ने घरेलू शेयर बाजारों में करीब 488 करोड़ रुपये की बिकवाली की, जिसके चलते बाजार 0.7 फीसदी गिरावट पर बंद हुआ।वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक स्थिति पर नजर रख रहा है और जरूरत पडऩे पर वह हस्तक्षेप कर सकता है। सितंबर में जब रुपये में 6.25 फीसदी की गिरावट आई थी तब रिजर्व बैंक ने डॉलर बेचकर रुपये को सहारा दिया था। वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कहा कि रुपये में गिरावट के चलते महंगाई पर भी दबाव पड़ रहा है। (BS Hindi)
17 नवंबर 2011
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