मुंबई November 22, 2011
जुलाई-सितंबर की तिमाही के दौरान आभूषणों की बिक्री में आई भारी गिरावट के बाद आभूषण निर्माताओं ने अपने प्रतिनिधि संगठन के साथ मिलकर इसे पटरी पर लाने की कवायद शुरू कर दी है। इसकी अगुआई करते हुए शहर के आभूषण निर्माता त्रिभुवनदास भीमजी जवेरी ने पहली बार भारत में 24 कैरेट का स्वर्ण आभूषण पेश किया है। मशीन से तैयार यह आभूषण थोड़ा महंगा होगा क्योंकि इस पर 10-15 फीसदी गढ़ाई लगेगा। निवेश वाले उत्पादों पर हालांकि सोने की कीमत पर करीब 1 फीसदी का अतिरिक्त शुल्क लगता है। सोने के सिक्के व सिल्लियों की तरह यह निवेश उत्पाद का विकल्प बन सकेगा। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के प्रबंध निदेशक अजय मित्रा ने कहा - 'चीन में शुद्ध सोने का आभूषण काफी लोकप्रिय है। वैश्विक स्तर पर सोने की बिक्री में इजाफे के लिए हम हर तरह का समर्थन प्रदान करेंगे।'दुर्भाग्य से 24 कैरेट सोने के आभूषण के कोई खरीदार नहीं हैं क्योंकि इसे एक महीने पहले ही पेश किया गया है। चूंकि भारतीय उपभोक्ता सोने के वैसे आभूषणों की खरीदारी करने में दिलचस्पी रखते हैं जिसमें तांबा या फिर दूसरे धातुओं का मिश्रण हो। ऐसे मिश्रण से सोना थोड़ा ठोस हो जाता है। लिहाजा बाजार में फिलहाल 24 कैरेट सोने के खरीदार नहीं हैं। अब तक भारत में 22 कैरेट का हॉलमार्क आभूषण ज्यादा मशहूर है। सिक्के और सिल्लियों समेत निवेश उत्पाद तापरोधी पैकेट में जारी करने वालों के प्रमाणपत्र के साथ देश भर बेचे जाते हैं।समझा जाता है कि टीबीजेड ने डब्ल्यूजीसी से संपर्क कर लेटर ऑफ अथॉन्टिसिटी जारी करने का अनुरोध किया है ताकि खरीदारों को 24 कैरेट स्वर्ण आभूषण का आश्वासन मिल सके। शुद्ध सोने के आभूषण की तरफ उपभोक्ताओं के आकर्षण से इसकी बिक्री पर 100 फीसदी कीमत पाने में मदद मिलेगी। हालांकि ऑल इंडिया जेम्स ऐंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन (जीजेएफ) के चेयरमैन बी बामलवा ने कहा - मशीन के जरिए सिर्फ निश्चित किस्म के आभूषण (24 कैरेट) का निर्माण किया जा सकता है। भारत वैल्यू एडिशन के लिए मशहूर है और हाथ से बने आभूषणों की यहां भरमार है।शुद्ध सोने से बने आभूषण को बेचने पर इसके इस्तेमाल के अलावा 100 फीसदी कीमत वापस मिलेगी और यह सुविधा निवेश के दूसरे उत्पादों मसलन सिक्के, सिल्लियों और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में उपलब्ध नहीं हैं। एक बार जब उपभोक्ता इसे स्वीकार कर लेता है तो वे इसका इस्तेमाल निवेश के विकल्प के तौर पर भी कर सकेंगे।सोने के प्रति भारतीय उपभोक्ताओं का लगाव पीढिय़ों से रहा है, ऐसे में आभूषणों की बिक्री होती रही है। बामलवा ने कहा - हाल में मशहूर हुए निवेश उत्पादों में हालांकि उसके निचले आधार के चलते जोरदार बढ़त आई है, पर आभूषण आने वाले महीनों में इस पर कब्जा जमा सकता है।डब्ल्यूजीसी के मुताबिक, मौजूदा कैलेंडर वर्ष में तीसरी तिमाही के दौरान आभूषणों की बिक्री में 26 फीसदी की गिरावट आई है और यह 125.3 टन पर आ गया है जबकि निवेश उत्पादों में 18 फीसदी की गिरावट आई है और यह 78 टन पर आ गया है। तीसरी तिमाही में सोने की कुल बिक्री 23 फीसदी घटकर 203.3 टन रह गई है।जेम्स ऐंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के उपाध्यक्ष संजय कोठारी ने कहा - जेम्स ऐंड ज्वैलरी उद्योग के लिए सबसे बड़ी चिंता आभूषणों की बिक्री में आई गिरावट है। सोने के सिक्केव सिल्लियों की बिक्री में बढ़ोतरी से सिर्फ और सिर्फ खनन करने वालों को फायदा होगा, जो भारत के लिए अज्ञात है। ऐसे में हमें सिक्के व सिल्लियों की बजाय आभूषणों की बिक्री को प्रोत्साहित करने की दरकार है।परिषद जीजेएफ के साथ गठजोड़ कर भारत में आभूषणों की बिक्री को प्रोत्साहित करने की योजना बना रहा है। जीजेएफ ने भी सोने की बिक्री में इजाफा करने के लिए 100 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई है और मुख्य रूप से इसका ध्यान आभूषणों की बिक्री पर होगा। इसमें वैयक्तिक आभूषण निर्माताओं द्वारा निवेश प्रस्तावित है। उपभोक्ताओं तक सीधे पहुंचने के लिए यह सेमिनार का भी आयोजन करेगा। (BS Hindi)
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