आर.एस. राणा नई दिल्ली
स्थिरता - देश में डीएपी की सुलभता पिछले साल के बराबर रहेगी
बढ़ती कीमतएक अप्रैल 2010 से अभी तक डीएपी खाद की कीमत 52.7 फीसदी बढ़ चुकी है। एक अप्रैल 2010 को डीएपी का भाव 9,950 रुपये प्रति टन था जबकि अब इसके भाव 15,200 रुपये प्रति टन हो गया है। चालू रबी में सभी उर्वरकों की कुल मांग 321.13 लाख टन रहने की संभावना है।
डाई अमोनियम फास्फेट (डीएपी) की उपलब्धता चालू रबी सीजन में मांग के मुकाबले पांच फीसदी कम रहने का अनुमान है। डीएपी खाद का उपयोग किसान फसलों की बुवाई के समय करते हैं। ऐसे में डीएपी की कमी का असर रबी फसलों खासकर गेहूं की बुवाई पर पडऩे की आशंका है।
डीएपी के दाम करीब 52.7 फीसदी बढ़ चुके हैं। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू रबी सीजन में देशभर में 54.78 लाख टन डीएपी खाद की मांग होगी जबकि इसकी उपलब्धता पिछले साल के बराबर ही रहने की संभावना है। पिछले साल देश में 52.17 लाख टन डीएपी खाद की खपत हुई थी। उन्होंने बताया कि डीएपी खाद की कमी के कारण किसानों को इसकी जगह सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) या कॉम्प्लेक्स खाद का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है।
डीएपी खाद की कीमतें भी अप्रैल 2010 से अभी तक 52.7 फीसदी बढ़ चुकी है। एक अप्रैल 2010 को डीएपी खाद का भाव 9,950 रुपये प्रति टन था जबकि इस समय भाव 15,200 रुपये प्रति टन है।
एमओपी खाद की कीमतों में अप्रैल 2010 से अभी तक 68 फीसदी की तेजी हो चुकी है। एक अप्रैल 2010 को एमओपी खाद का भाव 5,055 रुपये प्रति टन था जबकि इस समय भाव 8,500 रुपये प्रति टन है। एसएसपी की कीमतों में इस दौरान 1.6 फीसदी की बढ़ोतरी होकर भाव 30,700 रुपये प्रति टन हो गया है।
हालांकि यूरिया खाद के दाम 5,310 रुपये प्रति टन पर स्थिर बने हुए हैं। राज्यों की मांग के आधार पर खाद की उपलब्ध कराया जा रहा है। चालू महीने में दैनिक 58 रेलवे रैक लोड हो रहे हैं। डीएपी खाद की चालू रबी में जरूर कमी है लेकिन यूरिया खाद की उपलब्धता में कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में खाद न मिलने और ब्लैक मार्केटिंग की खबरें आ रही है। उन राज्यों के अधिकारियों से बातचीत की जा रही है।
उन्होंने बताया कि चालू रबी में खाद की कुल मांग 321.13 लाख टन रहने की संभावना है जो पिछले साल की तुलना में 17 फीसदी ज्यादा है। पिछले साल रबी सीजन में देश में 274.44 लाख टन खाद की खपत हुई थी। चालू रबी में यूरिया की कुल मांग 163 लाख टन की रहेगी जबकि डीएपी की मांग 54.78 लाख टन, एमओपी की 25.72 लाख टन, कॉम्प्लेक्स की 55.30 लाख टन और एसएसपी की 22.32 लाख टन की मांग रहने का अनुमान है। (Business Bhaskar....R S Rana)
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