कोच्चि November 16, 2011
काली मिर्च के वैश्विक उत्पादन के ताजा अनुमान से संकेत मिलता है कि साल 2012 के सीजन में इसमें 4 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। अग्रणी निर्यात घरानों के अनुमानों के मुताबिक, अगले साल कुल 2,70,000 लाख टन काली मिर्च का उत्पादन होगा। वैश्विक आपूर्ति के नियंत्रण की कुंजी वियतनाम के पास होगी, जहां कुल 1,40,000 टन काली मिर्च का उत्पादन होगा। साल 2011 में वियतनाम में कुल 1,30,000 टन काली मिर्च का उत्पादन हुआ था। काली मिर्च के प्रमुख उत्पादक देशों में कैरीओवर स्टॉक को शामिल करते हुए साल 2012 में कुल वैश्विक आपूर्ति करीब 3,20,000 टन की होगी। यह साल 2011 के 3,30,000 टन के मुकाबले 10,000 टन कम होगा।वियतनाम में काली मिर्च के उत्पादन पर प्रमुख निर्यात घरानो का अनुमान अलग-अलग है और यह 1,30,000 टन से 1,50,000 टन तक है। पर इतना तय है कि नए सीजन में वियतनाम में उत्पादन बढ़ेगा क्योंकि वहां काली मिर्च के रकबे में तेजी से इजाफा हुआ है। पिछले 2-3 सीजन में काली मिर्च की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के चलते वियतनाम में इसका रकबा बढ़ा है। ऐसे में इस देश में उत्पादन बढऩे से आपूर्ति की स्थिति साल 2012 में भी ठीक रहेगी। यह भी ज्ञात हुआ है कि वहां अधिकारी किसानों को इसका रकबा बढ़ाने की सलाह नहीं दे रहे हैं ताकि इसकी कीमतें उच्च स्तर पर बनी रहे।वियतनाम में उत्पादकों के एक वर्ग का कहना है कि देश में अगले सीजन के दौरान उत्पादन या तो स्थिर रहेगा या फिर इसमें कमी आएगी। उन्होंने इसकी वजह काली मिर्च के बीमारी की चपेट में आने और कुछ इलाकों में रसायनिक उर्वरकों के ज्यादा इस्तेमाल के चलते फसलों को हुए नुकसान को बताया।भारत में हालांकि उत्पादन अनुमान में कमी की बात कही गई है और यहां साल 2012 में 42,000 टन काली मिर्च का उत्पादन होगा जबकि साल 2011 में 48,000 टन काली मिर्च का उत्पादन हुआ था। भारत में दिलचस्प पहलू यह है कि किसान व उत्तर भारतीय डीलर अपने पास बचे स्टॉक बेच रहे हैं। साल 2011 में ज्यादातर मांग की पूर्ति साल 2005 से भंडारित काली मिर्च के जरिए हुई, जब कीमतें 55-60 रुपये प्रति किलोग्राम थी। ब्राजील व मलयेशिया में काली मिर्च का उत्पादन स्थिर रहने का अनुमान है और यहां क्रमश: 30,000 व 50,000 टन काली मिर्च का उत्पादन होगा। वहीं इंडोनेशिया में उत्पादन बढ़कर 15,000 टन पर पहुंच जाएगा जबकि साल 2011 में 10,000 टन काली मिर्च का उत्पादन हुआ था और इस वजह से वैश्विक आपूर्ति इस साल बुरी तरह प्रभावित हुई थी। (BS Hindi)
17 नवंबर 2011
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