चंडीगढ़ November 10, 2011
प्रमुख उत्पादक क्षेत्र (पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश) में बासमती चावल के बंपर उत्पादन के अनुमान के चलते इसकी कीमतों पर दबाव बढ़ा है और घटती कीमतें निर्यातकों को आगे बढऩे में मदद कर रही है। वैश्विक स्तर पर भी कीमतें घटी हैं, लिहाजा घरेलू बाजार में बासमती की नरम कीमतें निर्यातकों के लिए मददगार साबित हुई हैं। निर्यातकों का मानना है कि कीमतों में कमी से निर्यात में इजाफा हो सकता है और इस साल यह 30 लाख टन पर पहुंच सकता है जबकि पिछले साल 22 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ था।एपीडा के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-जून 2011 के दौरान कुल निर्यात 6.88 लाख टन का रहा जबकि पिछले साल की समान अवधि में 4.35 लाख टन बासमती का निर्यात हुआ था। एपीडा के पास दर्ज आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-अक्टूबर 2011 के दौरान 16.22 लाख टन बासमती का निर्यात हुआ, जो कमोबेश पिछले साल के समान ही है। एपीडा के सलाहकार ए के गुप्ता ने कहा कि कीमतें घटने के चलते इस साल निर्यात बढ़ सकता है। कृषि संबंधी व प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) देश में खाद्य उत्पादों के निर्यात का विनियमन करता है।बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कोहिनूर फूड्स के संयुक्त प्रबंध निदेशक गुरनाम अरोड़ा ने ऐसी ही राय व्यक्त करते हुए कहा - पिछले साल देश से कुल 22 लाख टन बासमती का निर्यात हुआ था और हमें उम्मीद है कि अनुकूल कीमतों के चलते इस साल कुल निर्यात 30 लाख टन पर पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा - निर्यात में तेजी लाने के लिए हम सरकार से 900 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात कीमत को हटाने का अनुरोध कर रहे हैं, ताकि निर्यातक अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकें। उन्होंने कहा कि देश से निर्यात में तेजी लाने के लिए निर्यातकों को सरकारी प्रोत्साहन की पेशकश की जानी चाहिए क्योंकि निर्यात की खातिर ईरान का बाजार उभर रहा है।यहां इस बात का उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि बासमती का उत्पादन करने वाले दो प्रमुख राज्यों पंजाब व हरियाणा में इसका रकबा बढ़ा है। पंजाब में जहां बासमती का रकबा 3-5 फीसदी बढ़ा है, वहीं हरियाणा में धान के कुल रकबे के 60 फीसदी से ज्यादा हिस्से में बासमती की बुआई हुई है। साथ ही इस साल उम्मीद की जा रही है कि देश में बासमती का कुल उत्पादन 75 लाख टन पर पहुंच जाएगा, जबकि पिछले साल 65 लाख टन बासमती का उत्पादन हुआ था। पिछले साल के मुकाबले इस साल कीमतें 15,000-20,000 रुपये प्रति टन के दायरे में है। पिछले साल इसकी कीमतें 21,000-23,000 रुपये प्रति टन के दायरे में थीं। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर एसोसिएशन के विजय सेतिया ने कहा कि इस साल निर्यात की औसत कीमत करीब 850 डॉलर प्रति टन पर है जबकि पिछले साल कीमतें 1000 डॉलर प्रति टन थीं। बासमती की घटती कीमतें किसानों पर असर डालेंगी।हालांकि सेतिया ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कमजोर वातावरण निर्यात कीमत पर असर डाल रहा है। निर्यातकों के पास बड़ी मात्रा में चावल का भंडार है और इसकी वजह से भी निर्यात कीमतें कम हैं। निर्यातकों के मुताबिक, उनके पास कुल कैरीओवर स्टॉक 1.5 करोड़ बोरी (प्रति बोरी 50 किलोग्राम) है। (BS Hindi)
14 नवंबर 2011
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