नई दिल्ली November 28, 2011
नीतिगत मसलों पर पिछले काफी समय से छाई सुस्ती को दूर करने के लिए सरकार ने व्यापक सुधार कार्यक्रम की शुरुआत कर दी है। लेकिन दिलचस्प है कि सुधार कार्यक्रम की शुरुआत के महज तीन दिन बाद ही सरकार चौतरफा आलोचना का शिकार हो रही है। हाल ही में बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने के मसले पर सरकार विपक्षी दल ही नहीं बल्कि प्रमुख सहयोगियों और बाहर से समर्थन देने वाले दलों की आलोचना का भी शिकार हो रही है। लेकिन प्रधानमंत्री आलोचकों को इस बात के लिए राजी करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं कि नीति बिल्कुल सही है और ये सुधार छोटी अवधि के लिए नहीं हैं।इस मसले पर संसद में जारी गतिरोध समाप्त करने की कोशिशों के तहत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सभी दलों की बैठक बुलाई है, जो आमतौर पर नहीं बुलाई जाती है। इस बीच वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने भी अपनी तरफ से विपक्षी दलों को मनाने की कवायद शुरू कर दी है। शर्मा ने कहा है कि खुदरा में एफडीआई को तभी अनुमति मिलेगी, जब विदेशी कंपनियां अपनी 30 फीसदी खरीद देश के सूक्ष्म एवं लघु उद्योग (एमएसई) से करेंगी। दिलचस्प है कि दो दिन पहले ही इस मसले पर शर्मा द्वारा दिए गए कैबिनेट नोट में कहा गया था कि विदेशी कंपनियों को उनकी 30 फीसदी खरीद किसी भी देश के एमएसई से करनी होगी और इसमें भारतीय एमएसई के बारे में स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा गया था। खुदरा में एफडीआई को अनुमति देने के सरकारी फैसले के बाद शर्मा आज नुकसान की भरपाई करने के मूड में दिखे। कंपनियों द्वारा खरीद पर रवैया बदलने के अलावा उन्होंने कई सांसदों को पत्र लिखकर इस नीति के फायदों से अवगत कराया। सप्ताहांत के दौरान वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने राष्ट्रीय दैनिक अखबारों में खुदरा में एफडीआई के फायदों पर पूरे पृष्ठ के विज्ञापन भी जारी किए।हालंाकि सोमवार को इस मसले पर नकारात्मक राजनीतिक मनोभावों के कारण रिटेल कंपनियों के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। लेकिन सरकार के सूत्रों ने एफडीआई नीति के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाते हुए स्पष्ट कहा कि वह इसे वापस नहीं लेगी। बहु-ब्रांड खुदरा में 51 फीसदी एफडीआई और एकल ब्रांड खुदरा में 100 फीसदी एफडीआई पर हुए कैबिनेट फैसले पर अभी अधिसूचना जारी नहीं की गई है। एक मंत्री ने बताया कि सरकार खुदरा एफडीआई नीति में 30 फीसदी खरीद प्रावधान में ही बदलाव कर सकती है, इससे ज्यादा नहीं। अधिसूचना में स्पष्ट कहा जाएगा कि विदेशी कंपनियों को देसी एमएसई से ही अपनी 30 फीसदी खरीद करनी होगी, न कि दुनिया के किसी और देश के एमएसई से। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को ही देश के बहु ब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई को अनुमति देने का राजनीतिक रूप से संवेदनशील फैसला किया था। अभी तक इस श्रेणी में स्थानीय किराना स्टोरों का दबदबा है। उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले लिए गए इस फैसले पर कांग्रेस में भी मतभेद हैं। उत्तर प्रदेश में तो सरकार के इस फैसले के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन भी शुरू हो चुके हैं।एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि खुदरा क्षेत्र में निवेश करने से पहले विदेशी कंपनियां इन राज्यों में चुनाव संपन्न होने का इंतजार करेंगी। जबकि विपक्षी दलों ने साफ कह दिया है कि जब तक सरकार इस फैसले को वापस नहीं लेती है, तब तक वे संसद की कार्रवाई नहीं चलने देंगे। हालांकि विपक्ष द्वारा खुदरा में एफडीआई पर स्थगनादेश लाने से सरकार के गिरने की आशंका नहीं है। (BS Hindi)
29 नवंबर 2011
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