मुंबई November 09, 2011
संकट के दौर से गुजर रहे राज्य के चीनी उद्योग को मदद पहुंचाने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर नवंबर में 10 लाख टन चीनी निर्यात की स्वीकृति देने का केंद्र से आग्रह किया है। इसने कहा है कि इसके बाद दिसंबर, जनवरी, मार्च और अप्रैल में इस मात्रा को 5 लाख या 10 लाख टन बढ़ाया जा सकता है।महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र से कहा है कि चालू पेराई सीजन में 260 लाख टन अनुमानित चीनी उत्पादन को देखते हुए भारत 40-50 लाख टन चीनी निर्यात की स्थिति में है। मुख्यमंत्री पृथ्वीराज च्वहाण ने खाद्य मंत्री के वी थॉमस के साथ बातचीत में दावा किया कि निर्यात के जल्द निर्णय से राज्य की मिलों को फायदा मिलेगा।एक वरिष्ठ मंत्री ने पहचान सार्वजनिक न करने का आग्रह करते हुए बिजनेस स्टैेंडर्ड को बताया कि 'खाद्य सुरक्षा के लिए 40 लाख टन संरक्षित करने के बाद भी उद्योग के पास 57 लाख टन चीनी का स्टॉक बचेगा। इसमें महाराष्ट्र का शेष चीनी स्टॉक 34 लाख टन होगा, जो भारत के कुल बचे हुए स्टॉक का 55.67 फीसदी है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में मार्च 2012 में ब्राजील और थाईलैंड से चीनी की आवक शुरू होने से पहले इस बचे हुए स्टॉक का निपटान निर्यात के जरिए कर दिया जाए।' मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि निर्यात की स्वीकृति खुले सामान्य लाइसेंस (ओजीएल) के तहत दी जानी चााहिए। राज्य की 170 से अधिक मिलों की प्रतिनिधि संस्था महाराष्ट्र सहकारी चीनी मिल संगठन ने भी निर्यात पर काफी जोर दिया है। संगठन के चेयरमैन विजयसिंह मोहिते-पाटिल ने कहा, 'जल्द निर्णय होना महाराष्ट्र के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इससे फैक्टरियों को अच्छा रिटर्न मिलेगा और उनके घाटे में कमी आएगी। साथ ही वे गन्ना किसानों को समय से भुगतान कर सकेंगी।' (BS Hindi)
10 नवंबर 2011
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