आर.एस. राणा नई दिल्ली
केंद्र सरकार दूसरी हरित क्रांति की बात कर रही है लेकिन पहली हरित क्रांति में प्रमुख योगदान देने वाले राज्य ही राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के तहत जारी होने वाली राशि को खर्च करने में कोताही बरत रहे हैं।
चालू वित्त वर्ष 2011-12 में पंजाब को अभी तक 35.18 करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है लेकिन पंजाब सरकार ने इसमें से एक रुपया भी खर्च नहीं किया है। इसी तरह से हरियाणा को इसके तहत 24.29 करोड़ रुपये जारी हो चुके हैं लेकिन राज्य सरकार खर्च केवल 0.82 करोड़ रुपये ही कर पाई है। देश में पहली हरित क्रांति में प्रमुख योगदान उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा का था।।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार एनएफएसएम के माध्यम से गेहूं, चावल, दलहन और तिलहनों के उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है और चालू वित्त वर्ष 2011-12 में 30 सितंबर तक एनएफएसएम के तहत देश के 18 राज्यों को 969.37 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं लेकिन इसमें से राज्यों ने मात्र 204.81 करोड़ रुपये ही खर्च किए हैं। चालू वित्त वर्ष के लिए एनएफएसएम के तहत 1,292.10 करोड़ रुपये का आवंटन किया जाना है।
उन्होंने बताया कि पंजाब, केरल और जम्मू और कश्मीर ने चालू वित्त वर्ष में की गई कुल आवंटित राशि में से एक रुपया भी खर्च नहीं किया है। जबकि अन्य राज्यों में मध्य प्रदेश को चालू वित्त वर्ष में 141.82 करोड़ रुपये का आवंटन हो चुका है लेकिन राज्य सरकार इसमें से केवल 23 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाई है। इसी तरह से राजस्थान को 63.62 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं लेकिन राज्य सरकार इसमें से केवल 13.28 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाई है।
चालू वित्त वर्ष में एनएफएसएम के तहत सबसे ज्यादा राशि उत्तर प्रदेश को 229.96 करोड़ रुपये जारी की गई है लेकिन 30 सितंबर तक राज्य सरकार ने इसमें से केवल 47.95 करोड़ रुपये ही खर्च किए हैं। अन्य राज्यों में आंध्रप्रदेश को चालू वित्त वर्ष में एनएफएसम के तहत 51.80 करोड़ रुपये जारी हो चुके हैं लेकिन खर्च केवल 37.37 करोड़ रुपये ही हुए हैं।
छत्तीसगढ़ ने 44.34 करोड़ की आवंटित राशि में से 3.34 करोड़ रुपये, गुजरात ने 23.96 करोड़ रुपये में से 7.21 करोड़, झारखंड ने 5.55 करोड़ रुपये की आवंटित राशि में से 1.94 करोड़, कर्नाटक ने 59.40 करोड़ में से मात्र 14.57 करोड़, महाराष्ट्र ने 98.36 करोड़ में से 13.27 करोड़, तमिलनाडु ने 27.20 करोड़ रुपये की आवंटित राशि में 5.59 करोड़ और पश्चिम बंगाल ने 30.80 करोड़ रुपये से केवल 9.92 करोड़ रुपये ही खर्च किए हैं। (Business Bhaskar....R S Rana)
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