मल्टीब्रांड और सिंगल ब्रांड रिटेल में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) में 30 फीसदी खरीद छोटे एवं मझोले उद्यमों (एसएमई) से करने के सरकार के फैसले से यहां की दाल एवं आटा मिलों को भी घाटा होगा।
स्थानीय दाल एवं आटा मिलर्स के मुताबिक वर्तमान में खुदरा बाजार की कुल मांग की 70 से 80 फीसदी आपूर्ति मिलों द्वारा की जा रही है। ऐसे में एफडीआई में विदेशी रिटेल स्टोरों को मात्र 30 फीसदी खरीद एसएमई से करने का निर्णय सही नहीं कहा जा सकता है।
इससे यहां की दाल एवं आटा मिलों को 40-50 फीसदी घाटा होगा। लारेंस रोड स्थित दाल एवं बेसन मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक गुप्ता ने कहा कि सरकार की ओर से 30 फीसदी खरीद एसएमई से करने के निर्णय का दाल एवं बेसन मिलों को कोई लाभ नहीं होगा बल्कि इससे मिलों को घाटा होने की संभावना अधिक लग रही है। इनके मुताबिक वर्तमान में खुदरा बाजार में दालों, बेसन व आटे की जो 70-80 फीसदी आपूर्ति मिलों द्वारा की जा रही है, वह सरकार के मुताबिक रिटेल में एफडीआई लागू होने से घटकर 30 फीसदी रह जाएगी। जिससे मिलों को स्वाभाविक रूप से घाटा होना तय है।
राजधानी रोलर फ्लोर मिल्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधक रविन्द्र शर्मा ने भी रिटेल में एफडीआई के तहत 30 फीसदी खरीद छोटे एवं मझोले उद्योगों से करने के निर्णय को सही नहीं बताया। इनका कहना है कि इससे मिलों को कोई लाभ नहीं होगा। वर्तमान में छोटे किराना स्टोरों पर एसएमई के उत्पादों की बिक्री अधिक हो रही है।
रिटेल में एफडीआई लागू होने व एसएमई से 30 फीसदी खरीद होने की स्थिति में एसएमई के उत्पादों की बिक्री बढऩे की बजाय घटेगी। शर्मा के मुताबिक यदि विदेशी कंपनियां 30 फीसदी खरीद एसएमई से करती भी हैं तो अंतरराष्ट्रीय मानकों को आधार बनाकर वे स्थानीय एसएमई से खरीद के लिए सर्टिफिकेशन व लेबर के नए नियम बनाएंगी।
कंपनी विशेष के नियमों को पूरा नहीं करने पर स्थानीय एसएमई से 30 फीसदी की खरीद नहीं हो सकेगी ऐसे में उन कंपनियों के स्वयं के छोटे व मझोले उद्यमों से इस 30 फीसदी खरीद को पूरा किए जाने की संभावना बढ़ जाएगी। इससे स्थानीय दाल, बेसन व आटा मिलों को होने वाले नुकसान में बढ़ोतरी होगी। (Business Bhaskar)
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