ग्वाटेमाला में इलायची की नई फसल आने से भारत से निर्यात मांग कम हो गई है। जबकि चालू फसल सीजन में ग्वाटेमाला में इलायची की पैदावार 22.2 फीसदी ज्यादा होने का अनुमान है तथा घरेलू फसल की पैदावार भी 16.6 फीसदी ज्यादा है। इसीलिए घरेलू बाजार में इलायची की मौजूदा कीमतों में और भी गिरावट की संभावना है।
सेमैक्स एजेंसी के मैनेजिंग डायरेक्टर एम बी रुबारल ने बताया कि ग्वाटेमाला में इलायची की नई फसल की आवक शुरू हो गई है तथा ग्वाटेमाला में चालू फसल सीजन में इलायची की पैदावार बढ़कर 22,000 टन से ज्यादा होने का अनुमान है। पिछले साल ग्वाटेमाला में 18,000 टन इलायची की पैदावार हुई थी। भारत के मुकाबले ग्वाटेमाला की इलायची सस्ती है इसीलिए भारत से निर्यात मांग कम हो गई है।
भारतीय इलायची का भाव अंतरराष्ट्रीय बाजार में 16 से 18 डॉलर प्रति किलो है जबकि ग्वाटेमाला के निर्यातक 14 से 15 डॉलर प्रति किलो की दर से सौदे कर रहे हैं। ऐसे में घरेलू बाजार में इलायची की मौजूदा कीमतों में और भी पांच से सात फीसदी की गिरावट आने की संभावना है।
कार्डमम ग्रोवर एसोसिएशन के सचिव के के देवेशिया ने बताया कि चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में निर्यात में भारी बढ़ोतरी हुई है लेकिन अगले चार-पांच महीने निर्यात कमजोर रहने की संभावना है। घरेलू बाजार में नीलामी केंद्रों पर आवक बराबर बनी हुई है तथा चालू फसल सीजन में देश में इलायची की पैदावार बढ़कर 14,000 टन से भी ज्यादा होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 12,000 टन की पैदावार हुई थी। इसीलिए गिरावट को बल मिल रहा है।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2011-12 के पहले छह महीनों में इलायची के निर्यात में 122 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल से सितंबर के दौरान निर्यात बढ़कर 1,850 टन का हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 355 टन का निर्यात हुआ था। अग्रवाल स्पाइसेज के पार्टनर अरुण अग्रवाल ने बताया कि नीलामी केंद्रों पर इलायची की साप्ताहिक आवक 500-600 टन की हो रही है। (Business Bhaskar....R S Rana)
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