महाराष्ट्र में गन्नाराज्य ने एफआरपी से ज्यादा तय किया पहली किस्त का गन्ना मूल्यस्वाभिमानी शेतकारी संघ ने एफआरपी में खामियां बताईंकिसानों का मानना है कि केंद्र सरकार द्वारा तय किए जाने वाले गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को तय करने के फार्मूले में बदलाव होना चाहिए। स्वाभिमानी शेतकारी संघ के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद राजू शेट्टी ने कहा है कि वर्तमान में तय होने वाले एफआरपी के फार्मूले में कई खामियां है, जिसकी वजह से लागत के मुकाबले गन्ना का उपयुक्त दाम तय नहीं हो पाता है और गन्ना किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
राजू शेट्टी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि गन्ने का एफआरपी तय करने के फार्मूले में बदलाव करने की जरूरत है। वर्तमान में तय किए जाने वाले फार्मूले में गन्ने की उत्पादन लागत, कटाई, परिवहन लागत और अन्य खर्चे काफी कम जोड़े जाते हैं जबकि इनकी लागत काफी ज्यादा है। इस वजह से गन्ने का एफआरपी लागत के मुकाबले कम तय किया जाता है जिससे गन्ना किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
चालू पेराई सीजन के लिए केंद्र सरकार ने 9.5 फीसदी चीनी की रिकवरी पर गन्ने का एफआरपी 1,450 रुपये प्रति टन घोषित किया है जो पूरी तरह अव्यवहारिक है। उन्होंने कहा कि सरकार को एफआरपी तय करने के फार्मूले में बदलाव के साथ ही लेवी चीनी की अनिवार्यता को भी समाप्त करना चाहिए। चालू सीजन में चीनी का उत्पादन बढऩे का अनुमान है इसीलिए ज्यादा से ज्यादा मात्रा में चीनी निर्यात की अनुमति देनी चाहिए।
राजू शेट्टी ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के किसानों को गन्ने की पहली किस्त के भुगतान के लिए 1,800 से 2,050 रुपये प्रति टन मू्ल्य तय किया है। राज्य सरकार द्वारा पुणे में गन्ने का मूल्य 1,850 रुपये प्रति टन, कोल्हापुर-सांगली और सतारा के लिए 2,050 रुपये प्रति टन किया है जबकि मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्र के लिए गन्ने का समर्थन मूल्य 1,800 रुपये प्रति टन तय किया गया है।
गौरतलब है कि गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाने को लेकर सांसद राजू शेट्टी केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के संसदीय क्षेत्र बारामती में पांच दिनों से अनशन पर बैठे थे। किसानों की मांग थी कि उन्हें 2,350 रुपये प्रति टन के हिसाब से गन्ने का भाव मिले। इसके लिए गन्ना किसान स्वाभिमानी शेतकारी संघ के अध्यक्ष और सांसद राजू शेट्टी के नेतृत्व में पिछले महीने भर से राज्य के गन्ना किसान आंदोलन कर रहे थे।
राज्य के गन्ना किसानों ने 19 सितंबर को आंदोलन शुरू किया था तथा 31 अक्टूबर को राज्य के जय सिंहपुर में एक रैली की थी जिसमें करीब 60,000 से 70,000 किसानों ने भाग लिया था। इस आंदोलन के बाद ही राज्य सरकार ने अपने स्तर पर गन्ने का मूल्य एफआरपी से ज्यादा तय किया है। (Business bhaskar.....R S Rana)
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