10 जनवरी 2011
किसानों को मिल सकती है गन्ने की ज्यादा कीमत
नई दिल्ली।। गन्ना किसानों को 2011-12 सीजन में अपनी उपज की ज्यादा कीमत मिलेगी। दरअसल, केंद्र ने गन्ने की एफआरपी 4 रुपए बढ़ाकर 143 रुपए प्रति क्विंटल करने की योजना बनाई है। केंद्र ने चीनी वर्ष 2010-11 के लिए 139 रुपए का एफआरपी तय किया था। चीनी वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक चलता है। आधिकारिक सूत्र के मुताबिक, खाद्य मंत्रालय ने एक नोट में एफआरपी बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। आथिर्क मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति इस नोट को जल्द मंजूरी दे सकती है। एफआरपी गन्ना खरीद की न्यूनतम राशि होती है जिसे केंद्र सरकार तय करती है। यह किसानों के पारिवारिक श्रम, कृषि भूमि के किराए, जोखिम और मुनाफे को ध्यान में रखकर तय किया जाता है। एफआरपी का निर्धारण कृषि लागत और मूल्य आयोग करता है। आयोग ऑल इंडिया वेटेड एनुअल एवरेज निकालने के लिए चीनी उत्पादक राज्यों के लागत के आकलन पर भी गौर करता है। साल 2010-11 में गन्ने के एफआरपी में मुनाफे पर 15 फीसदी और जोखिम पर 20 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी। चीनी मिलें किसानों को एफआरपी के ऊपर कितनी भी रकम की पेशकश कर सकती हैं। लेकिन चीनी उद्योग आमतौर पर आयोग की सिफारिशों के हिसाब से न्यूनतम मूल्य तय करता है। उद्योग प्रतिनिधि ने बताया कि केंद्र को राज्य सरकारों के एडवाइजरी प्राइस तय करने से पहले एफआरपी का एलान कर देना चाहिए। उनके मुताबिक, 'जब तक एफआरपी का एलान होगा, प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य तब तक उससे अधिक एडवाइजरी प्राइस तय कर चुके होंगे। इससे एफआरपी का खास मतलब नहीं रह जाएगा।' खाद्य मंत्रालय भी चीनी पर लगे आयात शुल्क को मार्च तक मौजूदा 60 से घटाकर 20 से 30 फीसदी करने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। ऐसा इसलिए कि तीन साल में पहली बार चीनी की आपूतिर् मांग से ज्यादा होने के आसार बन रहे हैं। बाजार पर नजर रखने वाले विश्लेषकों के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय बाजार में आपूर्ति कम और कीमतें ऊंची रहने के चलते चीनी आयात करना आकर्षक नहीं रह गया है। चीनी आयात पर शून्य आयात शुल्क व्यवस्था खत्म होने पर सरकार ने एक जनवरी को 60 फीसदी का आयात शुल्क लगाने का फैसला किया था। सरकार ने 2011-12 में 2.45 करोड़ टन चीनी उत्पादन होने का अनुमान लगाया था। लेकिन उद्योग जगत का मानना है कि इस बार चीनी का उत्पादन सरकार के अनुमान से 10 लाख टन ज्यादा हो सकता है। पिछले चीनी वर्ष में देश में 1.88 करोड़ टन चीनी का उत्पादन हुआ था। उद्योग पर नजर रखने वाले एनालिस्ट का कहना है कि चीनी उत्पादन के बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन उद्योग को लगता है कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े चीनी उत्पादक राज्यों में प्रति एकड़ चीनी उत्पादन का स्तर नहीं बढ़ा तो यह पूर्ववत रह सकता है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के एक पदाधिकारी ने कहा, 'वर्ष 2011-12 में गन्ने का बुवाई ज्यादा रह सकती है।' केंद्र सरकार भी चीनी की अधिक आपूतिर् को देखते हुए ट्रेडरों द्वारा चीनी के भंडारण पर रोक हटा सकती है। यह पाबंदी मार्च 2009 में लगी थी। इसके हिसाब से ट्रेडर ज्यादा से ज्यादा 200 टन चीनी का भंडारण कर सकता था। यह पाबंदी 31 दिसंबर को खत्म होने वाली थी लेकिन सरकार ने इसे तीन महीने के लिए बढ़ा दिया। (ET Hindi)
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