चंडीगढ़ January 27, 2011
उत्पादक राज्यों में भंडारण के लिए अतिरिक्त जगह की भारतीय खाद्य निगम की तलाश को झटका लगा है। ऐसी स्थिति इसके बावजूद है जब विभिन्न राज्यों ने पिछले कुछ महीनों में आवंटित अनाज पंजाब व हरियाणा जैसे अतिरेक भंडार वाले गोदामों से उठाया है और इस तरह से मौजूदा सीजन के लिए थोड़ी बहुत जगह उपलब्ध करा दी है। पहचान किए गए नए भंडारण क्षमता में से अब तक महज 10 फीसदी को ही मंजूरी दी गई है और इस तरह से खरीद करने वाली एजेंसियों के लिए वैज्ञानिक तरीके से भंडारण करने की बाबत भारी किल्लत होगी।इस रबी सीजन में 8.2 करोड़ टन गेहूं की पैदावार की संभावना है और इसका करीब 30 फीसदी सरकारी एजेंसियां खरीदती हैं। कुल खरीद का दो तिहाई हिस्सा पंजाब व हरियाणा से आता है। इस सीजन में पंजाब से 110 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा गया है जबकि पिछले साल 102 लाख टन गेहूं खरीदा गया था। इसी तरह हरियाणा से 59 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य है जबकि पिछले साल भी इतना गेहूं ही खरीदा गया था।भारतीय खाद्य निगम ने साल 2009 में भंडारण क्षमता में 150 लाख टन की कमी की पहचान की थी और इसमें से 80 लाख टन पंजाब के लिए और 40 लाख टन हरियाणा के लिए निर्धारित किया था। आज तक पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप योजना के तहत महज 10 लाख टन अनाज के भंडारण क्षमता को ही मंजूरी दी जा सकी है जबकि बाकी के लिए दोबारा बोली आमंत्रित की जाएगी।पंजाब में प्रस्तावित 80 लाख टन क्षमता में से 10 लाख टन क्षमता देश के दूसरे हिस्से में स्थानांतरित किया गया था। बाद में दूसरे राज्यों के लिए पंजाब से 20 लाख टन क्षमता का स्थानांतरण इसलिए किया गया था कि देश के बाकी हिस्सों में बढ़ती पैदावनार के चलते वहां भंडारण की अतिरिक्त क्षमता की दरकार होगी।पंजाब के खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री आदेश प्रताप सिंह कैरों के मुताबिक, सरकार ने भंडारण की प्रस्तावित अतिरिक्त क्षमता 80 लाख टन से घटाकर 50 लाख टन कर दी है और सिर्फ 45 लाख टन की नई क्षमता की मंजूरी निजी क्षेत्र (प्राइवेट एन्टप्रेन्योर गारंटी स्कीम के तहत) की तरफ से सबसे कम बोली लगाने वालों को दी गई है और यह मंजूरी भी पिछले हफ्ते दी गई है। प्रस्तावित 13 लाख टन क्षमता को दूसरे सबसे कम बोलीदाताओं के लिए रखा गया है, लेकिन यह बोली लगाने वालों के लिए उचित भी हो सकता है और नहीं भी।एफसीआई के सूत्रों के मुताबिक, खुले में भंडारण करने की सभी जगहों को खरीद करने वाले प्रमुख राज्यों की तरफ से साल 2012 के मध्य तक ढंक दिया जाएगा। पंजाब के पास 20 लाख टन भंडारण की क्षमता है और इसमें से 10.5 लाख टन खुले में है जबकि 9.5 लाख टन ढंका हुआ है। पंजाब के खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री के मुताबिक, चिंता सिर्फ भंडारण की नहीं है बल्कि वैज्ञानिक तरीके से भंडारण की है। उन्होंने कहा कि फसल को अच्छी स्थिति में रखने के लिए एफसीआई को इस प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए।हरियाणा के मामले में 39 लाख टन की प्रस्तावित अतिरिक्त जगह में से सिर्फ 44 लाख टन की नई क्षमता पीईजी स्कीम के तहत मंजूर किया गया है। पंजाब और हरियाणा केंद्रीय कोष में 170 लाख टन गेहूं का योगदान करते हैं और इसका बड़ा हिस्सा खुले में भंडारित होता है। मध्य प्रदेश और राजस्थान भी राष्ट्रीय कोष में योगदान देते हैं। (BS Hindi)
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