बेंगलुरु May 05, 2010
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में एल्युमीनियम की मांग बरकरार है।
उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में एल्युमीनियम के दाम 4.6 प्रतिशत से लेकर 8.6 प्रतिशत बढ़ेंगे और कीमतें अगली दो तिमाही में 2400-2500 डॉलर प्रति टन पर पहुंच जाएंगी।
कोयले और पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में तेजी की वजह से एल्युमीनियम की कीमतों पर असर पड़ा है और लंदन मेटल एक्सचेंज में उच्च भंडारण के बावजूद कीमतों में तेजी है।
नैशनल एल्युमीनियम कंपनी लि. (नाल्को) के निदेशक (वाणिज्य) अंशुमान दास ने कहा, 'घरेलू मांग में जहां 8 प्रतिशत की तेजी का अनुमान है, वहीं अंतरराष्ट्रीय मांग में भी 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी के अनुमान लगाए जा रहे हैं। बढ़ती मांग के चलते लंदन मेटल एक्सचेंज में कीमतों में मजबूती की उम्मीद है, क्योंकि अर्थव्यवस्था में सुधार के साफ संकेत मिलने लगे हैं।'
पॉवर, ऑटोमोबाइल, पैकेजिंग और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में विकास की रफ्तार ठीक-ठाक है, साथ परिवहन और पैकेजिंग क्षेत्र में तेजी की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में जेती का रुख है। अगस्त 2009 में एल्युमीनियम की कीमतें गिरकर 1800 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई थीं। उस समय मांग बहुत ज्यादा घट गई थी। अब कीमतों में स्थिरता है और इस समय कीमतें वर्तमान स्तर पर आने से पहले 2400 डॉलर प्रति टन तक पहुंची थीं।
कीमतों में उतार-चढ़ाव पर बातचीत करते हुए दास ने कहा- जिंस बाजार किसी भी बुरी खबर पर तत्काल प्रतिक्रिया देता है, साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ साथ मांग सुधर रही है और कारोबार मंदी के पहले की स्थिति में पहुंच रहा है।
उन्होंने कहा कि कोयले और पेट्रोलियम की कीमतों के बढ़ने का दबाव इस जिंस पर पड़ रहा है, जो एल्युमीनियम तैयार करने में मुख्य रूप से काम आता है। एशिया में थर्मल कोल की कीमतें 100 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई हैं, क्योंकि मांग में तेजी है और आपूर्ति कमजोर। वहीं पेट्रोलियम की कीमतें भी इस समय बढ़कर 85 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई हैं, जिससे आर्थिक गतिविधियों में सुधार के संकेत मिल रहे हैं।
एलएमई में एल्युमीनियम के स्टॉक केबारे में दास ने कहा- 45 लाख टन के भंडारण में ज्यादा हिस्सा लंबी अवधि के वित्तीय सौदों के हैं, हाजिर कारोबार की तात्कालिक डिलिवरी के लिए नहीं। जब तक हाजिर डिलिवरी वाले एल्युमीनियम का भंडार नहीं बढ़ता है, इसका कीमतों पर असर मामूली रहेगा।
वेदांत एल्युमीनियम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी इस मसले पर ऐसी ही राय जाहिर की। उन्होंने कहा कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग अच्छी है। भारत के बड़े एल्युमीनियम उत्पादक क्षमता में विस्तार कर रहे हैं, लेकिन मांग में तेजी को देखते हुए उम्मीद है कि पूरे उत्पादन की खपत हो जाएगी।
हालांकि विश्लेषकों की इस मसले पर अलग राय है। केपीएमजी के निदेशक अंबर दुबे ने कहा कि इस समय एलएमई में भंडारण बहुत ज्यादा है, इससे पता चलता है कि इस उद्योग के बड़े खिलाड़ी कीमतों में तेजी की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन में मंदी के दौरान उत्पादन क्षमता में 15 प्रतिशत से ज्यादा की कटौती कर दी गई थी, जहां उत्पादन फिर बहाल किया जा रहा है। (Bs Hindi)
19 जनवरी 2011
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