बेंगलुरू January 04, 2011
कच्चे काजू के उत्पादन में इस साल 11 फीसदी की बढ़ोतरी की संभावना है और कुल उत्पादन 7 लाख टन पर पहुंच सकता है। हालांकि दक्षिण भारत के प्रमुख इलाकों में पिछले साल नवंबर में हुई असमय बारिश के चलते इस फसल में एक महीने की देरी हुई है।काजू व कोकोआ विकास निदेशालय (डीसीसीडी) के निदेशक वेंकटेश हुबली ने कहा - 'नवंबर में हुई असमय बारिश के चलते इस साल हालांकि पौधों में फूल लगने में एक महीने की देरी हुई है, लेकिन सुबह में कम तापमान व दिन में खिली धूप होने के चलते मुझे उम्मीद है कि प्रमुख उत्पादक इलाके में इसकी पैदावार में इजाफा होगा। इसके अलावा हमने इस साल इसके रकबे में भी बढ़ोतरी देखी है।Óकाजू का रकबा इस साल बढ़कर 9.20 लाख हेक्टेयर हो गया है जबकि पिछले साल 8.90 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में काजू की बुआई हुई थी, इस तरह इसमें 3.3 फीसदी की बढ़ोतरी का संकेत मिल रहा है। डीसीसीडी पिछले तीन साल से रकबे में 20000 हेक्टेयर सालाना की दर से इजाफा कर रहा है।इससे पहले निदेशालय ने कच्चे काजू के उत्पादन में करीब 15 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया था। हुबली ने कहा - हालांकि 20 दिसंबर के बाद बदली हुई परिस्थितियों से पौधों में फूल लगने में मदद मिली और मौजूदा संकेतकों के मुताबिक कुल उत्पादन 7 लाख टन को पार कर सकता है। उन्होंने कहा कि अगर जनवरी में बारिश नहीं होती है तो काजू की फसल अच्छी होगी और आने वाले सूखे मौसम में यह और बेहतर हो जाएगा। फूल लगने और इसके फल में तब्दील होने के समय में सूखा मौसम उत्पादन के लिहाज से बेहतर होता है। भारत में काजू की कटाई फरवरी से मई तक होती है। साल 2010 में कुल 6.3 लाख टन काजू का उत्पादन हुआ था।काजू निर्यात संवर्धन परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष और मेंगलूर से काजू निर्यात करने वाले जी. गिरिधर प्रभु ने कहा - घरेलू प्रसंस्करण उद्योग को उम्मीद है कि इस साल काजू का बेहतर उत्पादन होगा। उन्होंने कहा कि नमी की अच्छी मात्रा के चलते इस साल उत्पादकता में इजाफा होने की उम्मीद है। लेकिन फसल का सही आकलन फरवरी महीने में ही किया जा सकता है।काजू का उत्पादन मुख्य रूप से महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में होता है। निदेशालय अब इस फसल का विस्तार दूसरे राज्यों मसलन छत्तीसगढ़, उत्तर-पूर्वी राज्यों और अंडमान व निकोबार द्वीप में करने की कोशिश कर रहा है। काजू के पौधों में कम उत्पादकता के चलते भारत अपनी जरूरतों के आधे से ज्यादा हिस्से का आयात करता है। मुख्य रूप से तंजानिया, मोजांबिक, केन्या, आइवरी कोस्ट और वियतनाम जैसे देश से काजू का आयात होता है। मौजूदा वर्ष में प्रसंस्करण करने वाले भारतीय ने आयातित काजू की कीमत में रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखी है। तंजानिया से आयातित काजू की कीमतें 47.6 फीसदी बढ़कर 1845 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई है जबकि साल 2009-10 में यह 1250 डॉलर प्रति टन के भाव पर मिल रहा था। प्रभु ने कहा कि भारत में आयातित काजू की कीमत मौजूदा वित्त वर्ष में करीब 75-82 रुपये प्रति किलोग्राम बैठती है जबकि पिछले साल यह 55-65 ररुपये प्रति किलोग्राम के दायरे में था, इस तरह से इसमें 26 फीसदी की बढ़ोतरी नजर आ रही है। (BS Hindi)
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